राजस्थान में टेलीफोन टैपिंग को लेकर बवाल मचा हुआ है. राजस्थान सरकार ने आठ महीने बाद विधानसभा में BJP के एक विधायक के सवाल के जवाब में कहा है कि सक्षम अधिकारियों ने कानून व्यवस्था के लिए टेलीफोन टैपिंग की है. BJP ने इसे निजता का हनन बताते हुए आरोप लगाया है कि विधायकों और मंत्रियों समेत सभी लोगों का गलत तरीके से टेलीफोन टैप किए जा रहे हैं, इस पूरे मामले की जांच CBI से कराई जाए.
राजस्थान में आठ महीने पहले आया सियासी तूफान अब तक हलचल मचा रहा है. कांग्रेस के अंदर सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच उठे विवाद के समय सरकार पर यह आरोप लगा था कि विधायकों के टेलीफोन टैप किए जा रहे हैं. तब राजस्थान सरकार ने इससे इंकार किया था, मगर बीजेपी विधायक कालीचरण सर्राफ के पूछे एक सवाल में राजस्थान सरकार ने विधानसभा की वेबसाइट पर कहा है कि टेलीफोन एक्ट के तहत हमने टेलीफोन टैप किए हैं.
राज्य की सुरक्षा और शांति के लिए सक्षम अधिकारियों ने यह टेलीफोन टैप किए हैं. टेलीफोन टैप के नवंबर 2020 तक के सभी मामलों की समीक्षा राज्य के मुख्य सचिव ने की है.हालांकि बीजेपी विधायक ने जो प्रश्न पूछे हैं, उसका जवाब उस उत्तर में नहीं दिया गया है कि किन लोगों को और किसने टेलीफोन टैप किए हैं. बीजेपी विधायक को यह जानकारी अब तक नहीं मिली है, बल्कि वेबसाइट पर केवल 3 लाइन का उत्तर दे दिया गया है.
उधर, राजस्थान सरकार का कहना है कि किसी भी विधायक और मंत्री के टेलीफोन टैप नहीं हुए हैं. बीजेपी विधायक को प्रक्रिया की जानकारी दी गई है. सरकार की तरफ से जवाब देने आए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इसे बीजेपी की साजिश बताया है. बता दें कि राजस्थान में सियासी संकट के दौरान केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह और बीजेपी के दूसरे नेताओं के अलावा कांग्रेस के विधायकों-मंत्रियों के भी टैप सामने आए थे, जिसे बीजेपी ने फर्जी बताया था.
उस समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था यह टैप गलत निकलेंगे, तो हम राजनीति छोड़ देंगे. तब से यह आरोप लग रहे थे कि सरकार ने ही टेलीफोन टैप कराए हैं. मुख्यमंत्री निवास से इन टैपों के जारी करने को लेकर भी बवाल मचा था, जिसके जवाब में अशोक गहलोत ने कहा था कि उनके निजी सहायक के पास यह टैप सोशल मीडिया से मिले थे, जोकि उसने मीडिया में जारी कर दिया था. मगर इसकी जांच आज तक नहीं हो पाई है.