राजस्थान में सत्ता मिलने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कैबिनेट का भी गठन हो गया और सोमवार को कुल 23 मंत्रियों ने शपथ ग्रहण की. गहलोत ने अपनी कैबिनेट में जहां जातिगत समीकरणों का ध्यान रखा है, वहीं इंजीनियर, एमबीए और पीएचडी धारकों का सामंजस्य भी देखने को मिला है.
अशोक गहलोत कैबिनेट का हिस्सा बने कई मंत्री उच्च शिक्षा प्राप्त हैं. मंत्री पद की शपथ लेने वाले विधायकों में से तीन के पास पीएचडी, छह के पास एलएलबी, दो के पास एमबीए और एक के पास इंजीनिंयरिग की डिग्री है. जबकि सात मंत्रियों की शैक्षणिक योग्यता स्नातक से कम है.
हालांकि, मंत्रिमंडल का हिस्सा बने 23 विधायकों में से 8 विधायकों पर पुलिस में मामले दर्ज हैं और दो मंत्रियों को छोड़कर अधिकतर सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं. इंजीनियंरिग में स्नातक रमेश चंद्र मीणा ने 1993 में सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी. करौली जिले के सपोटरा से विधायक चुने गये मीणा को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई.कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ लेने वाले डॉक्टर बी डी कल्ला, डॉक्टर रघु शर्मा और राष्ट्रीय लोकदल के विधायक डॉक्टर सुभाष गर्ग के पास डॉक्टर ऑफ फिलोसफी (पीएचडी) की डिग्री है. कल्ला और रघु शर्मा ने कानून में स्नातक की डिग्री भी हासिल कर रखी है.
इन्होंने की कानून की पढ़ाई
निर्वाचन विभाग को चुनाव के लिए पेश शपथ पत्र के अनुसार शांति धारीवाल, गोविंद सिंह डोटासरा, सुखराम विश्नोई और टीकाराम जैली भी कानून में स्नातक है. वहीं, रघु शर्मा और मंत्रिमंडल में शामिल एक मात्र महिला मंत्री ममता भूपेश ने एमबीए की डिग्री प्राप्त की है.
राज्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले भजन लाल जाटव 10वीं पास हैं, वहीं कैबिनेट मंत्री उदय लाल और राज्य मंत्री अर्जुन बामणिया स्नातक के द्वितीय वर्ष तक और पांच मंत्रियों की शैक्षणिक योग्यता सैकेंडरी और उसके बराबर है.
इन मंत्रियों के खिलाफ केस
शैक्षणिक योग्यता के दूसरी तरफ लाल चंद कटारिया, विश्वेन्द्र सिंह, रमेश चंद मीणा, अर्जुन सिंह बामणिया, भंवर सिंह भाटी, अशोक चांदना, भजन लाल और टीकाराम जैली के खिलाफ मामलें लंबित है. सबसे अधिक 10 मामलें युवा मंत्री अशोक चांदणा के खिलाफ है.