scorecardresearch
 

पकड़ा गया 200 करोड़ का मालिक सरकारी अस्पताल का कंपाउंडर

एक ऐसा कंपाउंडर जो करोड़ से नीचे बात नहीं करता. बात आपको हजम नहीं होगी लेकिन जब हम आपको उसका सच दिखाएंगे तो हैरान भी होंगे और परेशान भी. जयपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के एक कंपाउंडर की संपत्ति दो सौ करोड़ से ज्यादा की थी.

Advertisement
X

एक ऐसा कंपाउंडर जो करोड़ से नीचे बात नहीं करता. बात आपको हजम नहीं होगी लेकिन जब हम आपको उसका सच दिखाएंगे तो हैरान भी होंगे और परेशान भी. जयपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के एक कंपाउंडर की संपत्ति दो सौ करोड़ से ज्यादा की थी.

Advertisement

एंटी करप्शन ब्यूरो ने जब छापा मारा तो अफसरों की आंखें फटी की फटी रह गईं. दर्जनों नर्सिंग कॉलेज में हिस्सेदारी, अपना अस्पताल और राजस्थान के कई शहरों में जमीन. सवाई मान सिंह अस्पताल के इस कंपाउंडर को देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपना सलाहकार बना रखा था और वो भारतीय नर्सिंग परिषद का सदस्य था.

आरोप है कि इसी की आड़ में नर्सिंग कॉलेज से उगाही करता था. स्वास्थ्य मंत्रालय का सलाहकार बनाए जाने के दो महीने के भीतर उसने 55 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता को लेकर नोटिस भेज दिए थे. लेकिन एक नर्सिंग कॉलेज के ट्रस्टी से 5 लाख की रिश्वत लेते एंटी करप्शन ब्यूरो ने उसे रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया.

जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल के सेकंड ग्रेड कंपाउंडर ऐसी कलाकारी की कि अच्छी खासी कंपनियों की बैलेंसशीट देखने वाले बाज़ीगर बगलें झांक रहे हैं. एंटी करप्शन ब्यूरो को पता चला कि सूई लगाने वाले सरकार ने ऐसी दवाई निकाली कि 200 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति का स्वामी बन बैठा.

Advertisement

आप सोच रहे होंगे कि रातों-रात कुबेर बन जाने की ये कहानी जब लिखी जा रही थी तो आप कहां थे. लेकिन महेश कोई यूं ही नहीं हो जाता. सूई लगाने वाला पहले राजस्थान नर्सिंग काउंसिल का मेंबर बना, फिर इंडियन नर्सिंग काउंसिल का और दो महीने पहले ही भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में कंपाउंडर साहब की उल्लेखनीय सेवाओं के लिए उन्हें देश के नर्सिंग मामलों का सलाहकार बनाया था और शेरों की सील वाली चिट्ठी मिली नहीं कि उगाही के जंगल का वनराज बन बैठा महेशचंद्र शर्मा.

एंटी करप्शन ब्यूरो ने एक नर्सिंग कॉलेज के ट्रस्टी से महेश को 5 लाख रुपये रिश्वत लेते हुए दबोचा तो उसका सारा खेल खुल गया. नर्सिंग कॉलेजों की सीटें बढ़ाने के लिए, मान्यता दिलाने के लिए वसूली का इल्जाम है इस कंपाउंडर पर. स्वास्थ्य मंत्रालय के सलाहकार के तौर पर नियुक्ति चिट्ठी मिलते ही महेश शर्मा की तकदीर का टकसाल खुल गया.

कोई 20 नर्सिंग कॉलेजों में हिस्सेदारी. अपना अस्पताल. अजमेर से पाली और उदयपुर से जयपुर तक जमीन का जाल. तनख्वाह तो टोटका था महेश शर्मा के लिए. और ये तो पता चलने की शुरुआत है महेश बाबू की मिल्कियत की. ज्यादा मत सोचिए! इस कंपाउंडर के हुनर ने बड़े-बड़े डॉक्टरों को कुंठित कर दिया है.

Live TV

Advertisement
Advertisement