राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के धौलपुर हाउस के कथित मालिकाना हक को लेकर विवाद हो गया है. राजस्थान बीजेपी ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश के आरोपों के जवाब में नया दस्तावेज पेश किया है.
जयराम रमेश के आरोपों के बाद राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष अशोक परनामी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में 1965 का एक दस्तावेज पेश किया जिसके मुताबिक भारत सरकार ने धौलपुर हाउस महाराजा हेमंत सिंह के नाम कर दिया था.
अशोक परनामी ने कहा, '1965 के इस दस्तावेज के सामने 1949 का वह दस्तावेज कहां टिकता है जो जयराम रमेश दिखा रहे थे.' बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़ ने इस मामले में जयराम रमेश को बहस करने की चुनौती दी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मामले में टुकड़ों में दस्तावेज दिखा रही है जो मानहानि करते हैं. उन्होंने कहा कि अगर वह गलत निकले तो इस्तीफा देने को तैयार हैं.
जयराम ने दिखाया पुराना दस्तावेज?
अशोक परनामी ने कहा कि जयराम ने 1949 का रिकॉर्ड दिखाया है, जबकि दिसंबर 1956 में सरकार ने हेमंत सिंह को राजा के रूप में मान्यता दी थी. 22 नवंबर 1958 को धौलपुर पैलेस के बदले कैसरबाग पैलेस की अदला-बदली हुई थी. 2010 में केंद्र और राज्य दोनों जगह कांग्रेस सरकारें थीं और नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने दुष्यंत को मुआवजा दिया. 2013 में कांग्रेस ने कहा कि दो लोगों ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की है तब भी कांग्रेस केंद्र में थी. बीजेपी नेता ने कहा, 'हम सीबीआई जांच के लिए तैयार हैं.'
जयराम रमेश ने लगाया है आरोप
गौरतलब है कि कांग्रेस नेता जयराम नरेश ने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस करके कुछ दस्तावेज पेश किए थे और उनके हवाले से दावा किया था कि धौलपुर महल राजस्थान सरकार की संपत्ति है. उन्होंने कहा, 'दुष्यंत सिंह ने उस महल के एवज में महज 2 करोड़ रुपये का मुआवजा लिया था. यह नंबर वन घोटाला है. इसकी जांच की जानी चाहिए.'
रमेश ने कहा कि कई सारे सबूत होने के बाद भी बीज्पी उस महल पर दुष्यंत के मालिकाना हक को साबित करने की कोशिश कर रही है.
1949 में हुए भारत सरकार और धौलपुर के राजा के बीच समझौते के मुताबिक जब तक राजा जीवित हैं तब तक वो इसमें रह सकते हैं और इसके लिए उन्हें सरकार को खर्च देना होगा. यानी इस संपत्ति पर वसुंधरा राजे के परिवार का हक नहीं बनता.