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आतंकियों के बॉर्डर पर कदम रखते ही फट जाएगा ट्रिप फ्लेयर, निकलेगी तेज रोशनी

बॉर्डर पर अब ट्रिप फ्लेयर लगाया जा रहा है. इन पर दुश्मन के कदम रखते ही धमाके के साथ तेज रोशनी होगी और पेट्रोलिंग में तैनात जवान चौकन्ना हो जाएगा.

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ट्रिप फ्लेयर के धमाके से पेट्रोलिंग में तैनात जवान चौकन्ना हो जाएगा
ट्रिप फ्लेयर के धमाके से पेट्रोलिंग में तैनात जवान चौकन्ना हो जाएगा

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बॉर्डर पर पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ की कोशिशें लगातार बढ़ रही हैं. ऐसी जगहों पर अब ट्रिप फ्लेयर लगाया जा रहा है. इन पर दुश्मन के कदम रखते ही धमाके के साथ तेज रोशनी होगी और पेट्रोलिंग में तैनात जवान चौकन्ना हो जाएगा.

राजस्थान के रेगिस्तान में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर इलाका काफी दुर्गम है. हर जगह पेट्रोलिंग आसान नहीं है, खासकर रात में. इसी को देखते हुए बॉर्डर पर आतंकियों, घुसपैठियों और तस्करों को रोकने के लिए सेना के आर्डिनेंस विंग ने बीएसएफ के जवानों को ट्रिप फ्लेयर तकनीक से लैस करना शुरू कर दिया है.

मिट्टी के रंग का रहता है धागा
बीएसएफ के इंस्पेक्टर एनके श्रीवास्तव ने कहा कि रेगिस्तान के इलाके में घुसपैठ रोकने में ये तकनीक बेहद कारगर है क्योंकि इससे निकलने वाली आग रात के अंधेरे में वाच टावरों पर आसानी से देखी जा सकती है. दरअसल इसमें मिट्टी के रंग का पतला सा धागा रहता है जो रेगिस्तान के धूल में दबा रहता है. जैसे ही कोई प्रेशर या लोड होगा ये विस्फोट के साथ जलना शुरू कर देगा.

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ट्रीप फ्लेयर पहले वहीं लगाया जाता था जो इलाका घुसपैठ के लिहाज से संवेदनशील हो. मगर अब डीआरडीओ से इसे ज्यादा से ज्यादा संख्या में उपलब्ध करवाने के लिए कहा गया है, ताकि पूरी सीमा पर तारबंदी के नीचे इसे लगाया जा सके.

घंटियां भी लगा रहे
बीएसएफ ने बॉर्डर के कुछ इलाकों में जिंगल बेल (एक प्रकार की घंटियां) लगाने शुरू कर दिए हैं. बीएसएफ ने करीब एक लाख जिंगल बेल तारबंदी पर लगाने के लिए आर्डर दिए हैं. पहले के जमाने में जिंगल बेल यानि घंटिया लगी रहती थी, लेकिन वक्त के साथ ये खत्म हो गईं. मगर इन्हें फिर से लगाया जाएगा ताकि कोई तारबंदी काटने या पार करने की कोशिश करे तो घंटिया बजनी शुरू हो जाए.

बीएसएफ के डीआईजी अमित लोढ़ा कहते हैं कि हम सीमा पर अत्याधुनिक तकनीक जैसे लो रिजोल्यूशन कैमरे और थर्मल इमेजिंग को लगा रहे हैं. साथ-साथ ट्रेडिशनल तरीके को भी रिवाईव कर रहे हैं. जैसे ट्रिप फ्लेयर और जिंगल बेल. इससे मॉनिटरिंग में सहायता मिलती है. इसके अलावा बड़ी संख्या में नई गाड़ियां और प्रशिक्षित ऊंट भी पेट्रोलिंग बढ़ाने के लिए बीएसएफ खरीद रही है.

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