विपक्षी दल कांग्रेस का कहना है कि पीएम नरेन्द्र मोदी को भाषणबाजी छोड़कर ठोस काम शुरू करना चाहिए. उनके पास आर्थिक दूरदृष्टि नहीं है. उन्होंने भारतीय उद्योग को नए आर्थिक ब्लूप्रिंट का सपना दिखाया था, लेकिन एक साल बीतने का बाद भी स्थिति ढाक के तीन पात है.
कांग्रेस प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि प्रधानमंत्री को भाषण देने के बजाए , ठोस काम करना शुरू करना चाहिए. बीजेपी के ही अरूण शौरी ने भी माना है कि मोदी सरकार आर्थिक तौर से दिशाहीन है.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार निवेश बढाने वाली सरकार नहीं होकर केवल सुर्खियां बटोरनी वाली सरकार बन गई है. मोदी ने अर्थशास्त्रियों और भारतीय उद्योग को नए आर्थिक ब्लूपिंट का सपना दिखाया था. लेकिन एक साल बीतने के बाद आर्थिक ब्लूप्रिंट, सुर्खियां आकषिर्त करने वाला प्रिंट बन गया है.
मोदी अच्छे दिन , सुशासन, आसान कारोबार, जीडीपी में 10 फीसद बढोत्तरी, पांच साल में दस करोड़ रोजगार दिलाने, डिजिटल इंडिया, किसान को फसल की कीमत के अलावा 50 फीसदी लाभ, कालाधन वापस लाने, हर भारतीय के खाते में पंद्रह लाख रुपये जमा करवाने, महंगाई कम करने का वादा कर सत्ता में आये थे, लेकिन एक साल बीत जाने पर स्थिति इससे उलट है.
यूपीए सरकार में हुआ था देश का विकास
उन्होंने कहा कि वैश्विक मंदी और भाजपा के नकारात्मक अभियान के बावजूद पूर्व यूपीए सरकार के 10 साल के दौरान देश में सर्वाधिक आर्थिक वृद्धि हुई. भारतीय अर्थव्यवस्था 7.6 प्रतिशत के औसत से बढी, प्रति व्यक्ति आय में तीन गुना बढी, 2004 में 24 हजार 143 रुपये से बढकर 2014 में 68 हजार 747 रुपये हो गई थी.
इनपुट- भाषा