कांग्रेस वरिष्ठ सूत्रों ने आजतक को बताया कि राजस्थान बीजेपी खेमे में फूट की खबरों के बीच सचिन पायलट रविवार को कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल से मिले. यहीं से पायलट की वापसी का रास्ता खुलता गया. अब तक पायलट के साथ रहे कुछ विधायक अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित होने लगे थे, क्योंकि इस मामले में बीजेपी कुछ खास कर नहीं पा रही थी और उसके अपने ही खेमे में उठापटक की खबरें आने लगी थीं.
इस मौके को भांपते हुए कांग्रेस आलाकमान ने तीन बागी विधायकों को अपने पाले में मिला लिया, इसके बाद सचिन पायलट के पास कोई ज्यादा विकल्प नहीं रह गया और वे कांग्रेस में वापसी को मजबूर हुए.
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कांग्रेस के वरिष्ठ सूत्रों ने आजतक को बताया कि कैसे पार्टी गहलोत कैंप के हित बिना नुकसान पहुंचाए पायलट की बगावत को कुचलने में कामयाब रही. अब सचिन पायलट समेत 19 बागी विधायक एक बार फिर से कांग्रेस के खेमे में आ गए हैं, इसी के साथ गहलोत अपनी सरकार को लेकर आश्वस्त भी हो गए हैं.
सचिन पायलट को साधने में पार्टी को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. सूत्र बताते हैं कि आखिरी नतीजे पर पहुंचने के लिए पायलट और प्रियंका गांधी के बीच कई राउंड की बात हुई. इस दौरान केसी वेणुगोपाल और अहमद पटेल भी साथ रहे. लेकिन अब तक ये लोग पायलट कैंप को समझाने में नाकाम रहे थे.
इस स्टोरी में टर्निंग प्वाइंट तब आया जब शनिवार को पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के नजदीकी 6 विधायकों को गुजरात के सोमनाथ ले जाया गया. चर्चा ये थी कि 14 अगस्त से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र से पहले बीजेपी अपने विधायकों को एकजुट रखना चाह रही है. इस घटनाक्रम के बाद सचिन पायलट कांग्रेस आलाकमान के साथ बात करने को तैयार हुए.
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शनिवार को ही केसी वेणुगोपाल जो कि जैसलमेर में कांग्रेस विधायकों के साथ थे, उन्हें दिल्ली भेजा गया. रविवार को सचिन पायलट और वेणुगोपाल के बीच मुलाकात हुई. इस मीटिंग के बाद पायलट गुट में ही दरार पड़ गई. इसके बागी विधायकों का भी एक गुट कांग्रेस आलाकमान के संपर्क में आया. इससे पहले शनिवार को ही वरिष्ठ विधायक भंवरलाल शर्मा केसी वेणुगोपाल से मुलाकात कर चुके थे. उन्होंने दो और बागी विधायकों की फोन पर वेणुगोपाल से बात करवाई.
बताया जाता है कि एक ओर तो सचिन पायलट खुद कांग्रेस हाईकमान से बात कर रहे थे, दूसरी ओर वे अपने साथ के बागियों को कोई जानकारी नहीं दे रहे थे, इससे बागियों का धैर्य जवाब देने लगा, उन्हें अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता होने लगी. इसके बाद इन तीनों विधायकों ने गांधी परिवार और कांग्रेस के प्रति अपनी निष्ठा जता दी.
रविवार को ही कांग्रेस ने एक और चाल चली. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बागी विधायकों को एक खुला पत्र लिखा और उनसे भावुक अपील की कि वे सच्चाई के साथ रहें और जनमत की आवाज सुनें. सीएम का ये पत्र एक तरह से बागी विधायकों को भेजा गया सुलहनामा था. इसके बाद बागी विधायकों के तेवर और नर्म हो गए. अब तक सचिन पायलट के पास समझौता के अलावा कोई विकल्प नहीं रह गया था.
सोमवार को सचिन पायलट राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मिले और उनकी नाराजगी दूर हो गई. फिलहाल सचिन पायलट की मांगों पर विचार करने के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी बना दी गई है.