राजस्थान में कांग्रेस अपने उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं कर पा रही है और टिकट पाने की चाह रखने वालों पर ये देरी मिनट दर मिनट भारी पड़ रही है. माना जा रहा था कि सोमवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में टिकट का फैसला हो जाएगा. मगर राजस्थान के बड़े नेताओं के बीच विवाद इतना गहरा है कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग भी टिकटों को लेकर झगड़ा खत्म नहीं कर पाई.
राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट और कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत के बीच टिकट को लेकर मारामारी जारी है. इस बीच खबरें आ रही हैं कि राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी और सचिन पायलट के बीच मीटिंग में झगड़ा इतना ज्यादा बढ़ गया कि सोमवार देर रात तक अशोक गहलोत दोनों पक्षों लेकर मान मनव्वौल करते रहे और अब एक बार फिर से विचार-विमर्श चल रहा है.
राजस्थान कांग्रेस का झगड़ा इस बात को लेकर है कि पार्टी सत्ता में आती है तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा. तमाम तरह के सर्वे यह बता रहे हैं कि कांग्रेस सत्ता में आ रही है. ऐसे में नेताओं के मुख्यमंत्री बनने की लालसा बढ़ती जा रही है. राहुल गांधी ने जिस तरह से किसी भी नेता को राजस्थान में आगे नहीं किया है. ऐसे में माना जा रहा है कि विधायक दल की बैठक में सीएम पद को लेकर फैसला हो सकता है. यानी जिस नेता के जितने चहेते विधायक बनेंगे मुख्यमंत्री बनने का चांस उसको उतना ही ज्यादा होगा और यही झगड़े की जड़ भी यही है.
बताया जा रहा है कि सोमवार को सीडब्ल्यूसी की मीटिंग के बाद यह तय हो गया था कि रात को कांग्रेस से करीब 100 से लेकर 110 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी जाएगी, लेकिन सोनिया गांधी के घर बैठक में रामेश्वर डूडी और सचिन पायलट के बीच जमकर तू-तू मैं-मैं हो गई. कुछ सीटों पर ऐसी गरमा गरमी हो गई कि सचिन पायलट ने कहा कि अगर मेरे कहे के अनुसार इन सीटों पर टिकट नहीं दिया गया तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा.
तमतमाते हुए डूडी ने भी कह दिया कि कल छोड़ना है तो आज छोड़ दो, लेकिन तुम्हारे मनमर्जी से टिकट नहीं बाटे जाएंगे. कहा जा रहा है कि नोहर सांवरिया और फुलेरा जैसे सीटों पर सचिन पायलट किसी और को लड़ाना चाहते हैं जबकि गहलोत और डूडी अपने लोगों को लड़ाना चाहते हैं. इस तरह की एक दर्जन सीटें हैं जहां पर विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. दूदू से बाबूलाल नागर, भीलवाड़ा की एक सीट से रामलाल जाट जैसे नेताओं को लेकर भी विवाद है.
टिकट बंटवारे पर क्यों हो रहा हंगामा
दरअसल पायलट गुट और अशोक गहलोत गुट दोनों ही चाहता है कि कम से कम 80 ऐसे लोगों को टिकट दिलवाएं जो उन्हें मुख्यमंत्री बनाने में मदद करें. इसके अलावा इस बात को लेकर भी अभी फैसला नहीं हो पा रहा है कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. पार्टी का एक मत यह है कि दोनों बड़े नेताओं को प्रचार करना चाहिए जबकि अशोक गहलोत चाहते हैं कि अपनी परंपरागत सीट सरदारपुरा से चुनाव लड़े जबकि सचिन पायलट विधानसभा चुनाव कभी नही लड़े हैं.
कहा जा रहा है कि गहलोत गुट चाहता है कि सचिन पायलट विधानसभा चुनाव लड़ें जबकि पायलट की तरफ के नेता चाहते हैं कि मध्य प्रदेश की तर्ज पर दोनों ही बड़े नेता चुनाव नहीं लड़े. लेकिन अगर अशोक गहलोत चुनाव लड़ते हैं तो सचिन पायलट भी चुनाव लड़ेंगे क्योंकि विधायक दल की बैठक में जो व्यक्ति मौजूद होगा उसकी स्थिति मजबूत हो सकती है.