राजस्थान के कोटा शहर का जेके लोन अस्पताल एक बार फिर सुर्खियों में है. यहां पर बीते 24 घंटे में 9 शिशुओं की मौत हो गई. इन 9 में से 5 शिशुओं की मौत बुधवार रात को हुई, जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल परिसर में हंगामा किया. परिजनों ने अस्पताल के मेडिकल स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाया है.
इससे पहले पिछले साल दिसंबर में ये अस्पताल चर्चा में आया था, जब यहां पर 100 बच्चों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद गहलोत सरकार की काफी किरकिरी हुई थी. हालांकि, प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा का कहना है कि 9 में से 3 शिशु अस्पताल में मृत लाए गए थे, जबकि तीन अन्य बच्चों को जन्मजात बीमारी थी और तीन बच्चों की सीओटी की वजह से मौत हो गई.
उधर, दो शिशुओं के परिजन शव लेकर अस्पताल परिसर में बैठे रहे. उनका आरोप है कि रात को अस्पताल का स्टाफ सो जाता है. बच्चों की तबीयत बिगड़ने के बाद जब स्टाफ के पास गए तो कोई सुनवाई नहीं हुई और कहा गया कि जब सुबह डॉक्टर आएंगे तब दिखाना.
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वहीं, स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा ने 9 शिशुओं की मौत की सूचना प्राप्त होते ही स्थानीय प्राचार्य एवं प्रशासनिक अधिकारियों को घटना की प्रारंभिक जांच कर तत्काल रिपोर्ट देने के निर्देश दिए. उन्होंने कोटा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से जेके लोन अस्पताल में शिशुओं की मौत की सूचना पर रिपोर्ट तलब की.
इस रिपोर्ट के अनुसार, बताए गए 9 शिशुओं में से 3 नवजात शिशु मृत अवस्था में लाए गए थे तथा 3 नवजात की मृत्यु जन्मजात बीमारी के कारण हुई है. शेष 3 नवजात की मृत्यु चिकित्सकों के अनुसार सीओटी के कारण हुई है.
जेके लोन मातृ एवं शिशु चिकित्सालय कोटा के चिकित्सा अधीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि चिकित्सालय में उपचार के लिए आने वाले 9 बच्चों की 10 दिसंबर को मृत्यु हुई है. इनमें से 3 बच्चे अस्पताल में मृत अवस्था में ही लाए गए थे और उनके परिजनों को तत्काल ही इस संबंध में सूचित कर दिया गया था.