राजस्थान के करौली में जलाकर मार दिए गए पुजारी के परिजनों का धरना खत्म हो गया है. इससे पहले पीड़ित परिजनों ने अंतिम संस्कार से इनकार कर दिया था. पुजारी बाबूलाल के परिजनों का कहना था कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, वे अंतिम संस्कार नहीं करेंगे. साथ ही
बाद में एसडीम ओपी मीणा, तहसीलदार दिनेश चंद्र मौके पर पहुंचे. राज्यसभा सांसद डॉक्टर किरोड़ी मीणा से धरने को लेकर बातचीत हुई. प्रशासन ने परिवार जन को अनुबंध पर नौकरी, इंदिरा आवास, 10 लाख की आर्थिक सहायता के साथ साथ आरोपियों की गिरफ्तारी का भी आश्वासन दिया है. इसके बाद परिजनों का धरना खत्म हो गया. पुजारी के पार्थिव शरीर को संस्कार के लिए श्मशान घाट ले जाया गया है.
इस बीच, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने करौली में पुजारी की हत्या मामले को लेकर सीएम अशोक गहलोत से बात की. राज्यपाल ने इस मुद्दे को लेकर चिंता जताई है. राज्यपाल सचिवालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक सीएम अशोक गहलोत ने आश्वासन दिया है कि मामलों की जांच की जा रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.
दाह संस्कार की अपील
इससे पहले प्रशासन ने पुजारी के परिजनों से अंतिम संस्कार किए जाने का अनुरोध किया था. करौली के एसडीएम ओम प्रकाश मीणा ने कहा कि पुजारी बाबूलाल के परिजनों ने चौथी डिमांड भी सामने रखी है. हम सीनियर अफसरों के जरिये सरकार को उनकी मांग के बारे में बताएंगे. हम परिजनों से अपील करते हैं कि वे दाह संस्कार करें क्योंकि शव को रखे हुए दो दिन हो चुके हैं.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक पुजारी के रिश्तेदार ललित ने कहा, 'जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं, हम दाह संस्कार नहीं करेंगे. हम चाहते हैं कि 50 लाख रुपये मुआवजा और एक सरकारी नौकरी मिले. सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और आरोपियों का समर्थन करने वाले पटवारी और पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. हम सुरक्षा चाहते हैं.'
बहरहाल, राजस्थान पुलिस ने हत्या के मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. परिवार की मांग थी कि उन्हें जमीन का आवंटन किया जाए और उनके एक बच्चे को नौकरी दी जाए.
वहीं जयपुर और करौली जिले में पुजारियों और ब्राह्मण समाज इस घटना से काफी नाराज बताया जा रहा था. ब्राह्मण समाज, पुजारी संघ, बजरंग दल, बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन देकर एक्शन की मांग की थी. उसके अलावा पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा और एक सरकारी नौकरी देने की भी मांग की गई थी.