कृषि कानूनों के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में अंदरूनी राजनीति तेज हो गई है. राजस्थान बीजेपी के कई नेताओं ने NDA का हिस्सा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के नेता हनुमान बेनीवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी माने जाने वाले प्रताप सिंह सिंघवी, भवानी सिंह राजावत, प्रह्लाद गुंजल ने गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को चिट्ठी लिखी है.
इन नेताओं का कहना है कि बीजेपी को हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के साथ गठबंधन को जारी रखने की आवश्यकता नहीं है और वो आज ही गठबंधन छोड़ सकते हैं. राजस्थान की राजनीति के विशेषज्ञ मानते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से वसुंधरा राजे की रजामंदी ना होने के बावजूद गठबंधन किया था. हनुमान बेनीवाल और वसुंधरा राजे राजनीतिक प्रतिद्वंदी रहे हैं तथा बेनीवाल कई बार वसुंधरा राजे को लेकर टिप्पणी कर चुके हैं. ऐसे में अब हनुमान बेनीवाल ने कृषि कानूनों का विरोध कर वसुंधरा राजे को हमला करने का मौका दे दिया है.
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हनुमान बेनीवाल ने हाल ही में कृषि कानूनों पर चुप्पी तोड़ी थी. उन्होंने किसानों की मांगों पर केंद्र से विचार करने की अपील की है और कहा कि अगर काले कानूनों को रद्द नहीं किया गया तो वे एनडीए को अपना सपोर्ट जारी रखने के बारे में विचार करेंगे. हनुमान बेनीवाल ने अमित शाह को चिट्ठी भी लिखी थी.
बता दें कि किसान केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. वे दिल्ली बॉर्डर पर डटे हैं और सरकार से कृषि कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं. उधर, गुरुवार को सरकार और किसान नेताओं की बातचीत होगी. ये चौथे चरण की बातचीत होगी. इससे पहले मंगलवार को सरकार और किसान नेताओं की बातचीत हुई. हालांकि, ये बातचीत बेनतीजा रही.
बीजेपी नेताओं ने चिट्ठी में क्या लिखा
बीजेपी नेताओं ने देश के गृह मंत्री अमित शाह एवं बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखते हुए आग्रह किया है कि हनुमान बेनीवाल बीजेपी को लगातार संबंध तोड़ने के लिए धमका रहे हैं और अभी तक पार्टी उनको क्यों बर्दाश्त कर रही है, यह समझ में नहीं आ रहा?
राजस्थान में बीजेपी का बड़ा जनाधार है और केवल 1.5 लाख वोटों के अंतर से ही राज हमारे हाथ से चला गया. अभी हाल ही में सांसद बेनीवाल ने हमारी पार्टी को ललकारते हुए उनकी तथाकथित पार्टी के उम्मीदवार पंचायत चुनाव में बीजेपी के खिलाफ खड़े कर दिए, यह उनकी घोर अनुशासनहीनता है और अभी भारत सरकार द्वारा लागू किए कृषि विधेयक को वापस नहीं लेने पर फिर पार्टी से संबंध तोड़ने की धमकी दे रहे हैं. उनके दल के गिनती के विधायकों के चले जाने या आ जाने से पार्टी की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
हाईकमान कठोर निर्णय लेते हुए स्वयं पहल कर तत्काल बेनीवाल से संबंध तोड़ ले तो पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं में अच्छा संदेश जाएगा. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का हाड़ौती, मेवाड़ा, मारवाड़, बागड़, बृजप्रदेश, बीकाना, शेखावाटी सम्भागों में कोई वजूद नहीं है. यह केवल नागौर जिले तक ही सिमटी हुई है.