राजस्थान के झुंझुनूं में एक मोर की मौत के बाद एक अनूठी अंतिम यात्रा निकाली गई. मोर का शव तिरंगे में लिपटा हुआ था. बड़ी संख्या में लोग अंतिम यात्रा में शामिल हुए. राष्ट्रीय पक्षी मोर की शहीद की तरह अंतिम विदाई दी गई. दरअसल, झुंझुनूं के मंडावा मोड इलाके में एक मोर बिजली के तारों से टकरा गया. करंट लगने से मोर अचेत होकर जमीन पर गिर गया.
स्थानीय लोगों ने वेटरनरी डॉक्टर डॉ. अनिल खीचड़ को इसकी सूचना दी. डॉक्टर खीचड़ मौके पर पहुंचे और मोर का इलाज शुरू किया. लेकिन इलाज के दौरान ही मोर ने दम तोड़ दिया. मोर की मौत ने डॉक्टर खीचड़ को झकझोर दिया. बता दें, उनकी पहचान इलाके में पक्षी प्रेमी के रूप में भी है.
डॉ. खीचड़ ने अपने कुछ पहचान वालों से मोर का अंतिम संस्कार सम्मान के साथ करने की बात कही. इसके बाद उनके साथियों और अन्य शहरवासियों ने जो कुछ किया, वह पशु प्रेम के लिहाज से एक मिसाल बन गई. राष्ट्रीय पक्षी मोर का पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. लोगों ने अर्थी को अच्छे से तैयार किया. चार लोगों ने अर्थी को कंधा दिया.
शहीद की तरह किया विदा
खास बात यह रही कि मोर को तिरंगे में लपेटकर शहीद की तरह विदा किया गया. अंतिम यात्रा के दौरान डीजे पर देशभक्ति गीत बजाए गए. जहां से भी अंतिम यात्रा गुजरी, लोगों ने हाथ जोड़कर नमन किया. अंतिम यात्रा में काफी संख्या में लोग शामिल हुए. शव यात्रा को देखकर लोगों को लगा कि किसी इंसान का निधन हुआ है. जब उन्हें पता चला कि अर्थी पर मोर का शव है तो लोगों ने सम्मान दिखाते हुए संवेदनाएं जाहिर की. शव यात्रा बाजार से गुजरी तो व्यापारी मोर के सम्मान में खड़े हो गए और श्रद्धांजलि दी.
मोर का दाह संस्कार
डॉ. अनिल खीचड़ ने बताया कि वह राष्ट्रीय पक्षी मोर का अंतिम संस्कार पूरे सम्मान से करना चाहते थे. मोर के लिए अर्थी तैयार की गई और राष्ट्रीय ध्वज में लपेट कर अंतिम विदाई दी गई. शव यात्रा मंडावा रोड से रवाना होकर इंदिरा नगर स्थित श्मशान घाट पहुंची. यहां पर मोर का विधि विधान और नियमों के साथ दाह संस्कार किया गया.
(इनपुट: नैना शेखावत)