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गुरुसर मोड़िया गांव से निकलकर ऐसे राम रहीम बना डेरा सच्चा सौदा का 'इंसा'

बाबा सतनाम ने ही सात साल की उम्र में गुरमीत सिंह को राम रहीम इंसा नाम दिया था. उस वक्त गांव का सरपंच सबको लेकर जाता था जिसका खर्चा राम रहीम के पिता मघर सिंह हीं उठाते थे. राम रहीम भी उनके साथ सिरसा आश्रम में जाने लगा. राम रहीम ने दसवीं तक की पढ़ाई अपने गांव गुरुसर मोड़िया के सरकारी स्कूल में ही की लेकिन उसके बाद पढ़ाई छोड़ ज्यादा समय बाबा के सतनाम आश्रम में हीं रहने लगा.

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रेप का दोषी करार राम रहीम
रेप का दोषी करार राम रहीम

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डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम आश्रम की साध्वी से बलात्कार के मामले में जेल की सजा काट रहे हैं. जेल जाने के बाद राजस्थान के श्रीगंगानगर स्थित उनके गांव गुरुसर मोड़िया में सन्नाटा पसरा है. राम रहीम के पैतृक निवास पर उसके चाचा और चाची अकेले बैठे हैं. रामरहीम की चाची रणजीत कौर कह रही हैं कि हमें ये दिन देखना पड़ेगा हमने ऐसा नहीं सोचा था. चाचा गुरुबख्स सिंह बताते हैं कि कल फैसला सुनने से पहले आस-पास के 800 लोग गांव में आए थे लेकिन जैसे ही हिंसा की खबरें आईं सब ट्रैक्टर ट्रालियों में भरकर वापस चले गए.

राम रहीम के गांव वाले बताते हैं कि वह अपनी फिल्म की शूटिंग के लिए 6 महीने पहले गांव आया था. वह पहले अक्सर आता था लेकिन अब कम आता है. रामर हीम ने गांव वालों के लिए गांव में अस्पताल और स्कूल भी बनवाए हैं. राजस्थान में सबसे अधिक करीब 25 डेरे श्रीगंगानगर और उससे लगते हनुमानगढ़ जिले में ही हैं. गांव में राम रहीम के बचपन का दोस्त लखपत बताता है कि गुरमीत राम रहीम ऐसा नहीं कर सकते हैं, हमें विश्वास है कि वो ऊपरी अदालत से छूट जाएगा. लेकिन गांव के ज्यादा लोग चुप रहना ही बेहतर समझ रहे हैं. कोई भी इस मसले पर ज्यादा बात नहीं कर रहा है.

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राम रहीम का जन्म जाट सिख परिवार में 15 अगस्त 1976 को हुआ था. रामरहीम के पिता मघर सिंह लंबरदार थे. यहां बड़े जमींदारों को लंबरदार कहते हैं. मघर सिंह के पास 6 मुरबा यानी 150 बीघा जमीन थी. उस वक्त वह इलाके के बड़े दबदबे वाले शख्स माने जाते थे और राम रहीम उऩकी इकलौता संतान है. उस वक्त सिरसा के बाबा सतनाम का प्रभाव इलाके में बढ़ रहा था. गांव वाले अक्सर ट्रैक्टरों में 200 किलो मीटर दूर बाबा सतनाम के सिरसा आश्रम में जाते थे. रामरहीम की मां नसीब कौर भी बाबा सतनाम से जुड़ गई.

बाबा सतनाम ने ही सात साल की उम्र में गुरमीत सिंह को राम रहीम इंसा नाम दिया था. उस वक्त गांव का सरपंच सबको लेकर जाता था जिसका खर्चा राम रहीम के पिता मघर सिंह हीं उठाते थे. राम रहीम भी उनके साथ सिरसा आश्रम में जाने लगा. राम रहीम ने दसवीं तक की पढ़ाई अपने गांव गुरुसर मोड़िया के सरकारी स्कूल में ही की लेकिन उसके बाद पढ़ाई छोड़ ज्यादा समय बाबा के सतनाम आश्रम में हीं रहने लगा.

बेटे का मन वैराग्य की तरफ ना जाए इसलिए पिता ने 18 साल की उम्र में ही राम रहीम की शादी कर दी लेकिन इस बीच बाबा सतनाम बिमार पड़ गए. बाबा सतनाम को इलाज के लिए बीकानेर अस्पताल में लाया गया तब राम रहीम ने पैसे और अपनी मेहनत से बाबा सतनाम की खूब सेवा की. राम रहीम की इसी गुरु सेवा से खुश होकर बाबा सतनाम ने इसे डेरा सच्चा सौदा की गद्दी दी थी. बाबा जब ज्यादा बीमार रहने लगे तो बीकानेर में ही 1990 में ही देश भर के सभी अनुयायियों को बुलाकर महज 23 साल की उम्र में गुरमीत राम रहीम को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया.

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गुरुसर मोड़िया के सरकारी स्कूल में गुरमीत राम रहीम को पढ़ाने वाले टीचर रूप सिंह बुजुर्ग हो चुके हैं लेकिन उन्हें अब भी याद है कि गुरमीत बहुत ही चंचल बच्चा था. बाबा के बलात्कारी होने पर उनके गुरु कहते हैं हमारी शिक्षा तो ऐसी नहीं थी. फिलहाल इस सेकेंडरी स्कूल में 800 बच्चे पढ़ते हैं. जिन्हें गुरमीत राम रहीम मदद करता है.

 

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