जीवन भर संग निभाने के लिए एक नाबालिग लड़की ने प्रेग्नेंट होने के बावजूद बेटी को जन्म दिया और परिवार द्वारा प्रेमी के खिलाफ अपहरण और पोस्को एक्ट में मुकदमा दर्ज करवाने के बावजूद लड़की ने उसके पक्ष में 164 के बयान दिए और 3 साल तक अपने से शादी करने के लिए बालिका गृह में रहकर इंतजार किया और बालिग होने पर प्रेमी से शादी कर ली.
गौरतलब है कि लड़का कई महीनों तक प्रेमिका के चक्कर में जेल की हवा खा चुका है. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और दोनों की शादी भरतपुर में आर्य समाज की रीति-रिवाजों से धौलपुर बाल कल्याण समिति ने एक निजी संस्था के जरिए करवा दी.
बालिका गृह भरतपुर में जिस प्रेमी के साथ जीवन बिताने के लिए एक नाबालिग लड़की ने बालिग होने के लिए तीन साल तक इंतजार किया. उसी बालिका गृह उसने एक बेटी को जन्म भी दे दिया. अब उसी लड़की को उसके प्रेमी से मिलाने का बीड़ा धौलपुर बाल कल्याण समिति ने उठाया और लड़की अन्नू 18 वर्ष की शादी उसके प्रेमी सचिन 23 वर्ष से करवा दी. इसके लिए बाल कल्याण समिति धौलपुर और भरतपुर के साथ प्रयत्न संस्था के सहयोग से लड़की की शादी उसके प्रेमी से करवाई गई. बुधवार को आर्य समाज की रीतियों से बाल कल्याण समिति द्वारा लड़की और उसके प्रेमी की शादी करवाई गई. परिजनों के विरोध के बावजूद लड़की आज अपने प्रेमी के साथ शादी कर ससुराल पहुंच गई और उसकी बेटी को भी पिता मिल गया.
बाल कल्याण समिति धौलपुर के अध्यक्ष बिजेंद्र सिंह परमार ने बताया कि आर्य समाज के माध्यम से बुधवार को विवाह की रस्में करवाई गईं. विवाह होने के बाद उन्हें सर्टिफिकेट देकर लड़की को विदा कराया गया. अध्यक्ष ने बताया कि लड़की की ढाई साल की एक बच्ची है. ऐसे में उस बच्ची के सर्वोत्म हित को ध्यान में रखते हुए उसे माता-पिता से मिलवाना अति आवश्यक था. इसके चलते बाल कल्याण समिति भरतपुर और धौलपुर ने मिलकर लड़की की शादी उसी लड़के से करवाने पर विचार किया था जिससे लड़की प्रेम करती है और लड़का भी उसे अपनाना चाहता है. शादी का मकसद था कि ढाई साल की शिशु को माता-पिता का प्यार मिल सके और लड़की को भी समाज में अधिकार मिल सके. इस मकसद से उन्होंने प्रयास शुरू किए थे और उसमें सफलता मिली. ढाई साल की लड़की को मां और पिता का प्यार मिल गया और तीनों एक हो गए. उन्होंने कहा कि दोनों की सहमति से शादी कानूनी-सामाजिक दृष्टि से सही होती है.
विवाह में सहयोग करने वाली प्रयत्न संस्था के एडवोकेसी ऑफिसर राकेश तिवाड़ी ने बताया कि युवक और युवती व्यस्क हैं. वह अपनी मर्जी से अपना जीवन बिता सकते हैं. दोनों वर-वधु की सहमति से उसकी शादी होती है तो कानूनी रूप से और सामाजिक दृष्टि से भी सही है और उन दोनों से उत्पन्न शिशु को माता-पिता का प्यार सदा मिलता रहे, ये उस शिशु का अधिकार है. यही इन सबका सर्वोत्म हित है. उनका प्रयास सफल हो गया इसलिए उन्हें खुशी मिल रही है.
शादी में बाल कल्याण समिति भरतपुर और धौलपुर के पदाधिकारी बाराती और घराती बनकर कार्यक्रम में उपस्थित रहे. बाल कल्याण समिति धौलपुर के अध्यक्ष बिजेंद्र सिंह परमार ने बताया कि लड़की धौलपुर जिले की रहने वाली है, इसलिए उन्होंने लड़की पक्ष की रस्म निभाई ओर घराती बनकर विवाह की रस्मों को पूरी करवाई. वहीं लड़का भरतपुर जिले का रहने वाला है, इसलिए बाल कल्याण समिति भरतपुर के पदाधिकारी कार्यक्रम में बाराती बनकर उपस्थित रहे.