कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इन सबके बीच कोरोना संक्रमितों के लिए आगे कुआं, पीछे खाई जैसी हालत है. लंग्स के संक्रमण को रोकने के लिए स्टेरॉयड दिया जा रहा है तो दूसरी तरफ इसकी वजह से आंखों की रोशनी जा रही है. दिमाग तक ब्लैक फंगस पहुंचने पर मौत भी हो जा रही है. राजस्थान में भी ब्लैक फंगस के मामले बढ़ रहे हैं.
जयपुर के एक अस्पताल में पिछले चार दिन में ही 40 मरीज पहुंचे जो ब्लैक फंगस से पीड़ित थे. इनमें से करीब 90 फीसदी मरीजों को चिकित्सकों ने बचा लिया लेकिन तकरीबन 60 फीसदी मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई है. डॉक्टर का कहना है कि अगर मरीज समय पर अस्पताल आ जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है. ब्लैक फंगस के बढ़ते मामले चिंता का सबब बन गए हैं.
राजस्थान की राजधानी जयपुर के ही भीलवाड़ा की रहने वाली 36 साल की कल्ला देवी कोरोना से ठीक हो गईं लेकिन एक हफ्ते बाद ही इनकी आंखों की रोशनी जाने लगी. जब गाल के पीछे दर्द शुरू हुआ तब उन्होंने डॉक्टर को दिखाया. डॉक्टर ने म्यूक्रोमाइकोसिस की समस्या की पुष्टि की और ब्लैक फंगस को नाक के रास्ते निकालने की बात कही. कल्ला देवी के भतीजे ने कहा कि सब कुछ ठीक था लेकिन अचानक दर्द शुरू हुआ और दिखना बंद हो गया.
ब्लैक फंगस के लिए कर्नाटक से आए जयपुर
कर्नाटक के बागलकोट जिले के निवासी 42 साल के महापेश उडपेड़ी को ब्लैक फंगस निकलवाने के लिए जयपुर लाया गया है. कोरोना वायरस के ठीक होने के 20 दिन बाद इनकी आंखों के ऊपर दर्द शुरू हुआ. यह समय पर अस्पताल चले आए इसलिए इनकी जान तो बच गई है लेकिन आंखों की रोशनी एक बार चली गई तो वापस नहीं आती है. जयपुर के ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर सतीश जैन के पास देशभर से पिछले चार दिन में 40 म्यूक्रोमाईकोसिस के मरीज आए हैं.
डॉक्टर जैन का कहना है कि मनमाना स्टेरॉयड देने से कोरोना के मरीजों में यह समस्या आ रही है कि करोना के ठीक होने के बाद गालों के ऊपर और कान के नीचे दर्द शुरू होता है और ये आंखों की नस को प्रभावित करते हुए दिमाग तक चला जाता है. समय पर अस्पताल में आ जाने पर बचाव संभव है लेकिन किसी-किसी मरीज को तो दो घंटे का समय भी नहीं मिल पा रहा. मरीजों ने बताया कि उन्हें पहले कभी डायबिटीज नहीं था लेकिन कोरोना के ठीक होने के बाद सुगर का लेवल काफी बढ़ा है. इसकी वजह से भी समस्या हो रही है.