राजमहल की जमीन पर कब्जा करने और गेट सील करने के मामले में वसुंधरा सरकार की जमकर किरकिरी हुई है. जयपुर एडीजे कोर्ट ने राजमहल पैलेस के सभी गेटों के सील खोलने ओर तोड़े गए ढांचों को एक महीने के अंदर वापस बनाकर लौटाने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान राजस्थान सरकार को फटकार भी लगाई है.
कोर्ट ने सरकार से पूछा कि जब राजमहल मामले में कोर्ट की डिक्र राजघराने के पक्ष में था, तो सरकार कब्जा लेने इतनी जल्दी में क्यों थी? इससे पहले सरकार की तब और फजीहत हुई थी, जब केंद्रीय नेतृत्व के दबाव के बाद राजमहल के मुख्य द्वार खोलने पड़े थे. राजघराने के वकील रमेश चन्द्र अग्रवाल ने बताया, 'कोर्ट ने कहा है कि 24 अगस्त की सुबह से पहले की स्थिति में पूरी जगह को लाई जाए. जेडीए की कार्रवाई गलत थी.' राजघराने के पूर्व महराज नरेन्द्र सिंह ने कहा कि हमें कोर्ट पर पूरा भरोसा था. हमने तब भी कहा था कि ये गलत हुआ है. हम कोर्ट से ताला खुलवा लेंगें.
24 सितंबर को जेडीए ने किया था सील
बता दें कि 24 अगस्त की सुबह 6 बजे बड़ी संख्या में पुलिसबल के साथ जयपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने राजमहल के गेट सील करने के बाद तोड़ फोड़ करना शुरू किया था. इस घटना से सियासी महकमे में भी हलचल मच गई कि अचानक ऐसा क्या हो गया जो राज्य सरकार ने जयपुर राजघराने पर इस तरह की कार्रवाई शुरू कर दी. जयपुर के पूर्व राजघराने की राजकुमारी और बीजेपी की विधायक दीया सिंह कागजों का पुलिंदा लेकर तोड़फोड कर रहे अधिकारियों के पास भी पहुंची थीं, लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई.
दस्तावेज देखने से भी अधिकारियों ने किया इनकार
दीया कुमारी ने अधिकारियों को कागजात दिखाते हुए कहा कि ये जमीन उनकी है, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि ना वो कागज देखेंगे और ना ही ताला खुलेगा. तब राजघराने ने मामले का सियासी हल निकालने के साथ-साथ कोर्ट का भी दरवाजा खटकाया था. मामले में मंगलवार को जयपुर एडीजे कोर्ट ने न केवल राजमहल के सारे गेट खोलने के आदेश दिए हैं, बल्कि कब्जे में लिए गए 13 बीघा जमीन को छोड़ने के भी आदेश दिए हैं. कोर्ट ने यह भी कहा कि जिन-जिन हवेलियों को तोड़ा गया है, उन्हें एक महीने के अंदर उसी रूप में बनाकर राजमहल लौटाया जाए.
राजमहल के लिए सड़क पर उतरीं राजमाता
इससे पहले एक सितंबर को जयपुर राजघराने की पूर्व राजमाता सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरी थीं. सियासी माहौल गरमाता देख बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और राजनाथ सिंह ने हस्तक्षेप करते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सोहदन सिंह को जयपुर भेजा था. दो दिनों की लंबी बैठकों के बाद मुख्यमंत्री राजे ओर राजमाता के बीच समझौता हुआ था. तब 4 सितंबर की सुबह मानवीय आधार पर सरकार ने राजमहल का गेट खोल दिया था, वहीं अब कोर्ट के कड़े फैसले के बाद राजस्थान सरकार के पास आदेश का सम्मान करने के अलावा कोई और समान करने के अलावा कोई भी विकल्प नहीं है.
राजे के भूटान जाते ही कार्रवाई
जयपुर के विधायक और शिक्षा मंत्री कालीचरण सर्राफ का कहना है कि सरकार और राजघराना इस पर अपना दावा जता रहा था और जब कोर्ट का फैसला आ गया है तो सभी को इसका सम्मान करना चाहिए. सरकार ने राजमहल सील करते हुए दावा किया था कि ये जमीनें 1993 में ही अवाप्त हो चुकी हैं. जबकि 23 साल पहले की अवाप्ति के लिए सरकार द्वारा कब्जा करने की कार्रवाई अचानक तब हुई, जब एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भूटान रवाना हुई थीं. जबकि इससे पहले वह राजघराने के साथ एक सप्ताह में दो बार साथ डीनर कर चुकी थीं.