जयपुर की सड़कों पर गुरुवार को एक महरानी और राजकुमारी की लड़ाई का अजीबोगरीब नजारा देखने को मिला. वसुंधरा राजे की सरकार ने जयपुर राजघराने के राजमहल पैलेस के दरवाजे पर ताला जड़ा तो बेटी राजकुमारी दीया के अपमान का बदला लेने के लिए खुद राजमाता सड़कों पर निकलीं. इससे पहले जयपुर के बाशिंदों से अपील की गई कि राजघराने के अपमान का बदला लेने के लिए वो साथ आएं और जयपुर राजघराने के साथ में भारी संख्या में जयपुर की जनता सड़कों पर निकली.
राजमाता के समर्थन में सड़कों पर लोग
हैरत की बात है कि सड़कों पर वसुंधरा सरकार के खिलाफ नारे लग रहे थे. लेकिन पूरी बीजेपी पार्टी और बीजेपी सरकार इसे महरानी और राजकुमारी का झगड़ा बताकर चुप्पी साधे थे. वसुंधरा सरकार के 24 अगस्त को सुबह 6 बजे राजमहल पैलेस को सील करने के खिलाफ राजमाता पद्मिनी देवी के बुलावे पर जयपुर की जनता सड़कों पर निकली. राजमाता लोगों को बार-बार यही समझा रही था कि ये लड़ाई जमीन की नहीं है, जिस तरह से हमारी बेइज्जती की गई और जलील किया गया, उसकी लड़ाई है.
राजमाता ने सरकार पर उठाए सवाल
बीजेपी सरकार में बीजेपी के एमएलए राजकुमारी दीया सिंह के साथ अधिकारियों ने बदसलूकी है. राजमाता का अपमान राजस्थान नहीं सहेगा. 'राजस्थान की मुख्यमंत्री कैसी हो दीया कुमारी जैसी हो' के नारे के साथ भारी जुलूस की शक्ल में राजमाता पद्मिनी देवी और राजपरिवार ने खुली जीप में अगुवाई किया, जो सिटी पैलेस से निकलकर राजमहल पैलेस तक गए. राजमाता पद्मिनी देवी ने कहा, 'इस तरह से करने की क्या जरूरत थी, हमसे बात करते तो हम ही दे देते, बात करते तो जो तोड़ा है उसे भी दे देते तोड़ने की जरूरत क्या थी. लेकिन जयपुर की जनता ने जिस तरह का साथ दिया है वो मेरे दिल को छू गया है. अब हम राज में नहीं हैं, लोकतंत्र आ गया है, लेकिन फिर भी जनता का प्यार बहुत मिला'.
9वें दिन सरकार नींद से जागी
राजमहल मामले पर राजघराने के साथ जुटी भीड़ को देख 9वें दिन सरकार की नींद खुली है. सड़कों पर सरकार के खिलाफ लग रहे नारों के बीच राज्य सरकार के शहरी विकास मंत्री राजपाल सिंह शेखावत ने आनन-फानन में सचिवालय शाम को बैठक बुलाई, जिसमें सरकार ने दस्तावेज दिखाकर ये बताया कि सरकार के कब्जे में ये जमीन 1993 से ही थी और राजमहल पैलेस का गेट भी कब्जे में है इसलिए सील किया है. लेकिन इस बात का वो जवाब नहीं दे पाए कि 23 साल बाद सरकार को ऐसी कौन-सी इमरजेंसी आ पड़ी थी जो बिना मोहलत दिए पुलिस फौज लेकर सुबह 6 बजे कब्जा लेने पहुंच गए थे.
डैमेज कंट्रोल में जुटी सरकार
सरकार ने देर रात तक इसे टालने के लिए तीन मंत्रियों स्वास्थय मंत्री राजेन्द्र राठौड़, नगरी विकास मंत्री राजपाल सिंह और उधोग मंत्री गजेंद्र सिंह खिंवसर के नेतृत्व में कमेटी बनाई. राजमाता का कहना है कि कमेटी के लोगों ने राजमाता की बात मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से करवाई, जिन्होंने कहा कि वे ताला खुलवाने की कोशिश करेंगी. लेकिन राजमाता का कहना है कि तोड़ने और राजमहल को सील करने से पहले रात में जब जयपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारी नोटिस को चस्पा कर गए तो वसुंधरा राजे से दिल्ली में फोन पर बात कीं, तब भी उन्होने ये नहीं कहा कि तोड़फोड़ करेंगे और कब्जे में लेंगे. उन्होंने भरोसा दिया था कि अगर आपके पास जमीन के कागजात हैं तो उसे आप दिखा देना. ये पूरी तरह से धोखा देने का काम किया गया है. पूरे मामले से बीजेपी विधायक दीया कुमारी आज दूर ही रहीं.
राजमाता ने संभाला मोर्चा
दरअसल राजघराने का दर्द है कि इनके साथ ऐसा न कभी मुगलों के जमाने में हुआ था और ना ही अंग्रेजों के जमाने में. सरदार पटेल ने हमसे राजघराने से सत्ता भी सादगी पूर्वक लिया था. राजमाता सामाजिक संगठनों के विरोध बैठकों में पहुंचकर समर्थन मांग रही है और कह रही हैं कि मामला जमीन का नहीं बेइज्जती का है. पद्मिनी देवी कहती हैं कि जयपुर राजघराने ने जयपुर को इतना दिया है, उनके पति भवानी सिंह को पाकिस्तान से लड़ाई के लिए बहादुरी के लिए महावीर चक्र मिला है फिर हमें इस तरह से क्यों बेइज्जत किया गया?
गौरतलब है कि 1973 में राजमहल से जुड़ी भूमि की अवाप्ति का आदेश निकला था और 1993 में सरकार ने पारित किया था. लेकिन मामला कोर्ट में चला गया. इस बीच अचानक 23 साल बाद सरकार के इस कदम से राजघराना अचंभे में है और हाई कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक सरकार के खिलाफ पांच मामले दर्ज करवाए हैं.