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जैसलमेर: 30 अप्रैल को थी 15 शादियां! गांव में कोरोना विस्फोट के बाद ग्रामीणों ने कैसे संभाले हालात

राजस्थान के जैसलमेर में कोरोना का खतरा अदृश्य दुश्मन की तरह आया. गांव के लोग इस बार आश्वस्त थे कि पहले लहर की तरह दूसरी लहर घातक नहीं होगी. गांव में जिंदगी सामान्य थी. इस गांव में 30 अप्रैल को 15 शादियां थीं. तब किसी को कुछ पता नहीं था. लोगों ने जमकर खुशियां मनाईं. आमतौर पर जैसा शादी में होता है. अचानक जैसलमेर से 25 किलोमीटर दूर बडोडा  गांव में कोरोना की लहर आ गई. 

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राजस्थान के बडोडा गांव में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ा था (फोटो-आजतक)
राजस्थान के बडोडा गांव में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ा था (फोटो-आजतक)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 15 अप्रैल को शादियों के बाद गांवों में कोरोना केस की लाइन
  • कोरोना कंट्रोल के लिए कोर ग्रुप किया गया गठित
  • कई लोगों ने शादियां कीं कैंसिल

राजस्थान के जैसलमेर में कोरोना का खतरा अदृश्य दुश्मन की तरह आया. गांव के लोग इस बार आश्वस्त थे कि पहले लहर की तरह दूसरी लहर घातक नहीं होगी. गांव में जिंदगी सामान्य थी. इस गांव में 30 अप्रैल को 15 शादियां थीं. तब किसी को कुछ पता नहीं था. लोगों ने जमकर खुशियां मनाईं. आमतौर पर जैसा शादी में होता है. अचानक जैसलमेर से 25 किलोमीटर दूर बडोडा  गांव में कोरोना की लहर आ गई. 

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शादयां खत्म होते ही गली-गली और घर-घर से कोरोना केस निकलने लगे. बडोडा गांव में आजतक की टीम पहुंची तो वहां के लोगों ने कहानी बताई.  गांव के प्रधान ने कहा कि बड़ी भयावह स्थिति बन गई थी. लोग घर-घर बीमार हो रहे थे. इस गांव में कोरोना से सबसे ज्यादा मौतें हुईं. 

कोरोना से लड़ने के लिए बना कोर ग्रुप

इस संकट की घड़ी से गुजरने के बाद लोगों में जागरूकता आई. कोरोना से निपटने के लिए गांव के लोगों ने कमर कस ली. गांव में निगरानी कमेटी बनाई गई. जागरूकता रैली का आयोजन किया गया. ये टीम गांव में पेट्रोलिंग करती है और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन, मास्क पहनना जैसे प्रोटोकॉल का पालन करवाती है. 

बडोडा गांव को कंटेंमेंट जोन घोषित कर दिया गया है. गांव के कोविड कोर ग्रुप के प्रमुख मग सिंह कहते हैं, "कोरोना से बहुत भयावह स्थिति बन चुकी थी. हम आशा करते हैं कि बडोडा गांव कोरोना से मुक्त हो जाएगा . हमारा ग्रुप कोर ग्रुप बना हुआ है, 6 निगरानी दल बने . पूर्ण रूप से हर क्षेत्र में जाकर हर गलियों में जाकर लोगों को सैनिटाइड कर रहे हैं, जो लक्षणों से ग्रस्त हैं उन्हें मेडिकल बांट रहे हैं."
 

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अब गांव में लोग मास्क पहनते हैं और 2 गज की दूरी का पालन करते हैं. घर से जब भी लोग बाहर निकलते हैं मास्क पहनना बेहद अनिवार्य है. डॉक्टरों की टीम भी गांव में घूमती है. कोर ग्रुप के सदस्यों के बीच कॉर्डिनेशन के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है. जहां से मैसेज के जरिए लोग एक दूसरे से संपर्क करते हैं. 

लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए लाउडस्पीकर से प्रसारण किया जाता है.  रतन सिंह नाम के शिक्षक ने इसके लिए एक संदेश तैयार किया है.  वे नया संदेश बनाते हैं और लोगों तक पहुंचाते हैं. 

कई लोगों ने शादियां कैंसिल कीं

कोरोना कंट्रोल के लिए कई लोगों ने मई महीने में पड़ने वाली अपनी शादियां कैंसिल कर दीं. मूल सिंह उनमें से एक हैं. वे खुद नर्सिंग की पढ़ाई कर रहे हैं. इसलिए स्थिति की गंभीरता को समझते हैं. उन्होंने कहा, "अफसोस वाली कोई बात नहीं है, मैं खुद नर्सिंग स्टाफ हूं. आसपास पड़ोस वालों ने भी कैंसिल की हैं. लड़की वालों से मैंने बात की है. उनको समझाया. मैं सब से यही अपील करना चाहता हूं कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. 

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नर्सिंग का कोर्स कर रहे मूल सिंह (फोटो-आजतक)

मूल सिंह के पिता कहते हैं कि शादी 2 महीने पहले तय हुई थी, पूरी तैयारी कर दी थी. 10 तारीख को लॉकडाउन लग गया. उसके बाद लड़की वालों को समाचार पहुंचा दिया कि कोरोना से पूरा गांव ग्रसित है.  ना कोई आ सकता है ना जा सकता है. लड़की वालों ने हमारे अनुरोध को स्वीकार कर लिया और शादी कैंसिल कर दी. ऐसे प्रयासों का सकारात्मक नतीजा निकला और गांव में धीरे-धीरे संक्रमण कम होता गया. 

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