लश्कर चीफ हाफिज सईद के बाद जैश मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर भी राजस्थान की पाकिस्तान से लगती सीमाओं पर अपना ट्रेनिंग कैंप शुरू कर दिया है. भारत के पश्चिमी सीमा के सामरिक ठिकानों पर हमले के लिए जैश ने पाकिस्तान में भारतीय सीमा के पास 11 नए आतंकी ट्रेनिंग कैंप खोले हैं. जैश-ए-मोहम्मद ने भी गंगानगर-बीकानेर के सामने सीमा पार पाक सीमा में यजमान मंडी में 3 नए आतंकी कैंप शुरू किए हैं. आईएसआई की देखरेख में चल रहे इन कैंपों में करीब 2000 से ज्यादा नए आतंकी ट्रेनिंग ले रहे हैं. इन्हें भारतीय सीमा में लॉन्च करने के जोरदार प्रयास किए जा रहे हैं. बताया जाता है कि अजहर मसूद खुद दौरा कर इन्हें भारत में धकेलने की मॉनिटरिंग की कर रहा है.
विश्वसनीय खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पाकिस्तान खुफिया एजेंसी आईएसआई के बैनर तले जैश ने पाकिस्तान में नए 11 ट्रेनिंग कैंप खोले गए हैं, इनमें भावलपुर, लाहौर, गुरजेवाला, हैदराबाद, डेरा गाजी खान, कराची, मीरपुर खास, नॉर्थ पंजाब, इस्लामाबाद, मनसेरा और रहिमियार खान शामिल है. इनमें 8वीं पास 16 से 21 साल के युवकों को फिदायिन हमले के लिए तैयार करते हुए ट्रेनिंग दी जा रही हैं. सूत्रों ने बताया कि करीब 2000 की तादात में इन नए कैंपों में 2000 की तादात में नए आतंकियों को पाकिस्तानी सेना के उच्चधिकारियों द्वारा हथियार चलाने, बम विस्फोट करने, नदी नाले पार करने और कई घंटे तक पैदल चलने की ट्रेनिंग दी जा रही हैं.
यही नहीं, हाफिज सईद के नियंत्रण रेखा के पास दौरे करने की भी जानकारी मिली हैं. नियंत्रण रेखा के पास लॉन्चिंग पैडों पर बैठे 700 आतंकवादियों को भारत में भिजवाने के लिए और वहां से दिशा-निर्देश देते हुए उन आतंकवादियों का मोटिवेशन भी कर रहा हैं. बताया जाता है कि पाकिस्तानी सेना भी इन आतंकवादियों को भारतीय सीमा में धकेलने के जोरदार प्रयास कर रही है. इसके साथ ही हाफिज के संगठन जमात-उद-दावा ने आतंक नर्सरी भी तैयार करनी शुरू कर दी है. इसके लिए इसने नए मदरसे बनाए हैं जिसमें 7 साल से लेकर 16 साल तक के बच्चों की भर्ती कर रहा है. अभी तक इनके पास 300 बच्चे आ चुके हैं.
यहां पर 16 से 17 साल के लड़कों की भर्ती की जा रही है. यहां पर इन नौजवानों को 21 दिन की ट्रेनिंग दी जाती है जिसे दूरा-ए-सूफा कहते हैं. इस 21 दिन में उनके दिमाग भारत के खिलाफ जहर भरा जाता है. यहां ब्रेनवाश करने के विशेषज्ञ रहते हैं जो इन्हें कठोर आतंकी बनने के लिए मानसिक रूप से तैयार कर देते हैं. भारत के खिलाफ दुष्प्रचार की सामग्री, जेहाद के मायने, कश्मीर में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के द्वारा अत्याचार का वीडियो और काफिर के मारने पर जन्नत मिलने और हूर मिलने जैसी बातों से इनकी ट्रेनिंग होती है.
21 दिन की ट्रेनिंग के बाद आखिरी बार इन्हें अपने माता-पिता, भाई-बहन और रिश्तेदारों से मिलने के लिए भेजा जाता है. इसमें खास ध्यान रखा जाता है कि आतंकी बनने के लिए अविवाहित और 16-17 से बच्चे ही आएं. ज्यादा उम्र के लोगों को इसमें शामिल नहीं किया जाता है. इसमें यहां पर दुनिया के सबसे आधुनिकतम हथियार चलाने की ट्रेनिंग, पांच से 10 दिनों तक पानी और ड्रायफ्रूट पर रहने की आदत, जंगल, पहाड़, रेगिस्तान और नदी से घुसपैठ की कठोर ट्रेनिंग होती है. इसमें जैश-ए-मोहम्मद के गुर्गे इन युवाओं को हथियार चलाने, ग्रेनेड फेंकने, माइन्स ब्लास्ट करने और नदी नाले पार करने की ट्रेनिंग दी जा रही हैं.