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कलराज मिश्र की आत्मकथा में BJP जॉइन करने की अपील, लॉन्च में पहुंचे थे CM अशोक गहलोत

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कलराज मिश्र की जिस बायोग्राफी (kalraj Mishra Biography) 'कलराज मिश्र...निमित्त मात्र हूं मैं...' को लॉन्च करने के लिए क्वारंटाइन से बाहर निकले थे उसमें लोगों से BJP ज्वाइन करने की अपील की गई है.

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राज्यपाल कलराज मिश्र की बायोग्राफी लॉन्च
राज्यपाल कलराज मिश्र की बायोग्राफी लॉन्च
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बायोग्राफी: 'कलराज मिश्र...निमित्त मात्र हूं मैं...' लॉन्च
  • लॉन्चिंग में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, सीएम गहलोत पहुंचे

राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र (kalraj mishra) की बायोग्राफी 'जबरन' कुलपतियों को बेचने का विवाद अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि इसे लेकर सियासी बवाल मचना शुरू हो गया है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) कलराज मिश्र की जिस बायोग्राफी 'कलराज मिश्र...निमित्त मात्र हूं मैं...' को लॉन्च करने के लिए क्वारंटाइन से बाहर निकले थे उसमें लोगों से BJP ज्वाइन करने की अपील की गई है.

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'कलराज मिश्र...निमित्त मात्र हूं मैं...' के पेज नंबर 116 पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की तस्वीर के साथ BJP से जुड़ने की अपील की गई है. इसमें लिखा गया है कि आइए हम एक नए भारत के निर्माण के आंदोलन का समर्थन करें, एक भारत श्रेष्ठ भारत के लिए हाथों को और मजबूत करें.

इसके अलावा भारत को हिंदूत्व के रूप में हिंदू जीवन शैली के लिए क्या-क्या करना चाहिए यह सब भी लिखा गया है. किताब के लॉन्च पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला भी पहुंचे थे. उन्होंने ट्वीट किया, 'जयपुर स्थित राजभवन में राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र के जीवन पर प्रकाशित पुस्तक "कलराज मिश्र...निमित्त मात्र हूं मैं..." का विमोचन किया. कलराज मिश्र के विराट व्यक्तित्व व कृतित्व को शब्दों में बांधना कठिन है. यह पुस्तक निश्चित तौर पर सभी को प्रेरित करेगी.

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वहीं राजस्थान सीएम गहलोत ने लिखा, राजभवन पहुंचकर राज्यपाल कलराज मिश्र को जन्मदिवस के अवसर पर शुभकामनाएं प्रेषित की एवं उनके जीवन पर आधारित पुस्तक के विमोचन समारोह में शामिल हुए तथा सम्बोधित किया.'

कुलपतियों को किताब बेचने पर आई सफाई

उधर विमोचन के बाद लेखकों के 27 कुलपतियों को किताब बेचने के लिए 18.46 लाख का बिल थमाए जाने पर राजभवन ने सफाई दी है कि उसका इससे कोई लेना देना नहीं है. कहा गया है कि यह प्रकाशक और कुलपति के बीच का मामला है. किताब की व्यावसायिक गतिविधियों से राजभवन का कोई लेना देना नहीं है.

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