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राजस्थान: गोवंश को राज्य से बाहर भेजने का कानून तैयार

इस संशोधित कानून के बाद राज्य के पशुपालकों और राज्य के बाहर के क्रेताओं को 2 साल से ज्यादा की उम्र के गोवंश को राज्य से बाहर ले जाने की अनुमति मिल सकेगी.

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गोवंश को राज्य से बाहर भेजने संबंधी कानून
गोवंश को राज्य से बाहर भेजने संबंधी कानून

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राजस्थान सरकार के मंत्रीमंडल ने राजस्थान से बाहर गोवंश भेजने के लिए कानून के तैयार मसौदे को मंजूरी दे दी है. इस कानून के तहत राज्य के दो वर्ष से ऊपर के गोवंश को कृषि एवं प्रजनन कार्य हेतु उन राज्यों में भेजा जा सकेगा, जहां गो हत्या पर पाबंदी है. गोतस्करी के आरोप और मारपीट की घटनाओं के बाद से राज्य में गोवंश के क्रय-विक्रय का सिलसिला ठप्प पड़ गया था. इससे पशुपालक किसानों में रोष पनप रहा था और वे एक नीति बनाने की मांग कर रहे थे.

वसुंधरा मंत्रिमंडल ने राजस्थान गोवंशीय पशु (वध का प्रतिषेध और अस्थाई प्रवर्जन या निर्यात का विनियमन) अधिनियम 1955 में संशोधन के प्रारूप को भी अनुमोदित किया. इस संशोधित विधेयक को राज्य के विधानसभा में पुनर्स्थापित करने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी होगी. इसलिए इसे राष्ट्रपति की अनुमति के बाद राज्य विधानसभा में भेजा जाएगा.

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इस संशोधित कानून के बाद राज्य के पशुपालकों और राज्य के बाहर के क्रेताओं को 2 साल से ज्यादा की उम्र के गोवंश को राज्य से बाहर ले जाने की अनुमति मिल सकेगी. यह अनुमति प्रारंभिक तौर पर नागौरी बैल प्रजाति के बछड़ों पर ही मिलेगी. राज्य के संसदीय कार्यमंत्री राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि पहले तीन साल के गोवंश के बछड़ों को राज्य से बाहर ले जाने की अनुमति थी.

राठौड़ ने साफ किया कि सरकार उन्हीं लोगों को गोवंश ले जाने की इजाजत देगी, जो कृषि कार्य या गोवंश के प्रजनन के लिए कार्य करते हैं. इससे पहले राज्य के पशु मेलों से गोवंश नगर निगम और नगरपालिका या पंचायत के रवन्ना रशीदों पर दूसरे राज्य के लोग गोवंश को खरीद कर ले जा सकते थे.

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