जयपुर के बड़े होटलों पर सुप्रीम कोर्ट के हाईवे किनारे शराब नहीं बेचने के फैसले का असर नहीं पड़ेगा. दरअसल जयपुर से गुजरने वाले सभी हाईवे को सरकार ने पहले ही हाईवे से डिनोटिफाई कर अर्बन रोड बना दिया है. जयपुर से तीन हाईवे गुजरते हैं नेशनल हाईवे-8, नेशनल हाईवे-11 और नेशनल हाईवे-13. इन तीनों के ऊपर वो शहरी इलाका जहां बड़े और पांच सितारा होटल बने हैं वहां पहले ही सरकार ने हाईवे को डिनोटिफाई कर अरबन रोड बना दिया है.
पॉश होटलों का ये इलाका जयपुर नगर निगम के दायरे में आ गया था तब इसकी हाईवे की मान्यता खत्म कर दी गई थी. सबसे ज्यादा पांच सितारा और तीन सितारा होटल दिल्ली-गुड़गांव-जयपुर के एनएच-8 पर हैं. लेकिन आबकारी विभाग का कहना है कि ज्यादातर होटलों और बार पर सुप्रीम कोर्ट के नियम का असर नहीं पड़ेगा क्योंकि ये इलाका जयपुर नगर निगम का है जहां पर जनसंख्या 20,000 से कम है. यानी इन जगहों पर 220 मीटर की दूरी पर शराब बेची या परोसी जा सकती है.
जयपुर के आबकारी आयुक्त ओपी यादव का कहना है कि एनएच-8 पर बहुत कम असर पड़ेगा क्योंकि इन इलाकों की आबादी 20,000 से कम है. जो होटल और बार 220 मीटर की सीमा में आ रहे हैं वो हाईवे की नपाई कर अपने बार को पीछे के हिस्से में ले जा रहे हैं. हालांकि ओपी यादव का कहना है कि कानूनी विभाग ने इस मामले पर उन्हें बात करने से मना किया है. इसलिए इस मामले में यही कह सकते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर अमल होगा.
दरअसल नेशनल और स्टेट हाईवे पर कुल 2800 शराब की दुकानें और बार हैं जिनसे सरकार ने कमाई का साढ़े छह हजार करोड़ की कमाई का लक्ष्य रखा है. ऐसे में कोशिश की जा रही है कि कम से कम आधी दुकानों को बचा लिया जाए ताकि कमाई पर ज्यादा असर नहीं पड़े. लेकिन सूत्रों के मुताबिक आबकारी विभाग अपने कानून विभाग से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन करवा रहा है जो ये बताएगा कि किस तरह से कमाई पर कम से कम असर पड़े और जरुरी होने पर शराब दुकानों को कहां शिफ्ट किया जा सके.
शराब की बिक्री और नई दुकानें खोलने के खिलाफ फिलहाल पूरे राजस्थान में जगह-जगह आंदोलन चल रहे हैं. सरकार के सामने समस्या ये है कि उसने शराब की दुकानों का आवंटन कर दिया है और मोटी कमाई भी की है लेकिन शराब की दुकानों के विरोध में बैठी जनता को भी नाराज नहीं करना चाहती है. लिहाजा सड़कों पर जनता और शराब ठेकेदारों के बीच संघर्ष हो रहा है.