राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ लोगों की नाराजगी बढ़ती जा रही है. अब इस लिस्ट में दिव्यांगजन भी शामिल हो गए हैं. आंदोलनरत दिव्यांगजन सरकार से रोजगार की मांग के अलावा बढ़ी हुई पेंशन की मांग भी कर रहे हैं.
राज्य के चुरू जिले के रहने वाले 32 वर्षीय विजेंद्र सिंह तंवर पिछले करीब 10 साल से नौकरी की तलाश में हैं. दिव्यांगजन तंवर इस समय जयपुर के निशक्त योग्यजन भवन की इमारत के सामने बैठ आंदोलन कर रहे हैं.
तंवर एमए ग्रेजुएट हैं और वो कहते हैं कि दिव्यांग होने के कारण उन्हें रोजगार पाने और जीवन यापन करने में बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. तंवर अनशन पर बैठ आंदोलन कर रहे हैं ताकि प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार में चेतना भर सकें.
तंवर ने आजतक से कहा, 'मैं करीब 10 साल से नौकरी पाने की कोशिश कर रहा हूं पर मुझे रोजगार नहीं मिल पाया है. सरकार को दिव्यांगजनों की मदद करनी चाहिए.' तंवर की तरह ही राजेंद्र सिंह मानते हैं कि एमए की डिग्री होने के बावजूद उनकी विकलांगता के कारण उनको पिछले कई सालों में सैकड़ों कोशिशें करने के बावजूद नौकरी नहीं मिल पा रही है.
सरकार पेंशन में बढ़ोतरी करेः प्रदर्शनकारी
राजेंद्र सिंह कहते हैं कि 750 रुपये महीने का मतलब है 25 रुपये हर दिन का. इसमें तीन बार की चाय भी नहीं आ सकती. खाना तो दूर की बात है. सरकार को चाहिए कि वो हमारी पेंशन बढ़ाएं और 2016 अधिनियम के तहत 4 फीसदी आरक्षण में बैकलॉग की पूर्ति करे.
राजस्थान की विधानसभा से करीबन 800 मीटर की दूरी पर कई दिव्यांगजन इस समय प्रदेश की गहलोत सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. दिव्यांगजनों का कहना है कि गहलोत सरकार ने 2016 अधिनियम के तहत नौकरियों में दिव्यांगजनों के लिए 4 फीसदी आरक्षण के वायदे को पूरा नहीं किया है.
ऐसे समय में जब एक एलपीजी सिलेंडर को भरवाने की कीमत 800 रुपये को पार कर चुकी है और पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर के करीब पहुंच चुकी है, ये दिव्यांगजन चाहते हैं कि इनकी पेंशन की बढ़ोतरी कर ₹3,000 किया जाए ताकि वे एक सम्मानजनक जीवन जी सकें.
दिव्यांगजन चाहते हैं कि प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार पेंशन, जो इस समय सिर्फ ₹750 प्रति महीना है, को बढ़ाकर ₹3000 करे. इसके अलावा इनकी मांगें हैं कि संविदा कर्मी एवं सरकारी नौकरियों में वर्षों से अस्थायी नौकरी कर रहे दिव्यांग जनों को स्थायी किया जाए.
कोई सुध नहीं ले रहा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकलांगजनों को दिव्यांगजन के नाम से पुकारा था. पर इस समय राजस्थान की राजधानी जयपुर में कई दिव्यांगजन सरकार के खिलाफ आंदोलनरत हैं. ये दिव्यांगजन 22 फरवरी से आंदोलन कर रहे हैं ताकि प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार में चेतना भर सकें.
ऐसे समय में जब प्रदेश में विधानसभा का सत्र चालू है. प्रदेश के किसी भी मंत्री ने इन आंदोलनरत दिव्यांगजनों से मिलकर इनकी सुध-बुध लेने की कोशिश तक नहीं की है.
दिव्यांग कार्मिक संगठन के अध्यक्ष मनोज कुमार पूनिया ने कहा कि हम लोग चाहते हैं कि हमारी पेंशन ₹750 से बढ़ाकर ₹3,000 तक की जाए. ऐसे समय में जब एक एलपीजी का सिलेंडर की कीमत ₹800 से ज्यादा है तो हम लोग ₹750 में कैसे अपना पूरे महीने का गुजारा कर सकते हैं?.
राजस्थान में करीबन 16 लाख रजिस्टर्ड दिव्यांगजन हैं लेकिन माना जाता है कि प्रदेश में दिव्यांगजनों का आंकड़ा करीबन 20 लाख है.