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राजस्थान विधानसभा सत्र बुलाने पर बोले चिदंबरम- राज्यपाल कानून का पालन करें

पी. चिदंबरम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में साफ कहा गया है कि राज्यपाल को मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह पर कदम उठाना चाहिए. अगर राज्यपाल ऐसा नहीं कर रहे हैं तो साफ है कि उन्हें कोई निर्देश दे रहा है.

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कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम (फोटो-आजतक)
कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम (फोटो-आजतक)

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  • राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करना चाहिए- चिदंबरम
  • चिदंबरम ने सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल की 3 शर्तों को किया खारिज

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने विधानसभा सत्र नहीं बुलाने को लेकर राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र पर सवाल उठाया है. चिदंबरम ने राज्यपाल पर राजनीतिक पार्टी के टूल के रूप में काम करने का आरोप लगाया है. पी. चिदंबरम ने कहा कि राज्यपाल को कानून के मुताबिक काम करना चाहिए.

जब चिदंबरम से सवाल किया गया कि क्या आप कह रहे हैं कि राज्यपाल केंद्र के दबाव में काम कर रहे हैं? चिदंबरम ने कहा कि दुर्भाग्य से इसका निष्कर्ष यही निकल रहा है. राज्यपाल को सुप्रीम कोर्ट का 2016 का वो फैसला पढ़ना चाहिए जिसमें शीर्ष कोर्ट ने अरुणालच प्रदेश में नबाम राबिया मामले में फैसला दिया था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया था कि राज्यपाल सिर्फ मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही काम करेंगे.

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पी. चिदंबरम ने 'इंडिया टुडे' से विशेष बातचीत में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले में साफ कहा गया है कि राज्यपाल को मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह पर कदम उठाना चाहिए. अगर वह (राज्यपाल) ऐसा नहीं कर रहे हैं तो साफ है कि उन्हें कोई निर्देश दे रहा है.

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत यह बात कहते आ रहे हैं कि राज्यपाल मोदी सरकार के दबाव में काम रहे हैं. क्या आप भी यही बात कह रहे हैं? चिदंबरम ने कहा, 'मैं ये नहीं सकता कि उन (राज्यपाल) पर कौन दबाव डाल रहा है. उन पर केंद्र से दबाव है या बीजेपी नेतृत्व से दबाव है, अथवा लोकल स्टेट बीजेपी दबाव डाल रही है? मैं इतना कहूंगा कि उन्हें कानून के मुताबिक काम करना चाहिेए. उन्हें स्वतंत्र होकर काम करना चाहिए. उन्हें सुप्रीम कोर्ट का फैसला पढ़ना चाहिए.'

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पी. चिदंबरम ने राज्यपाल कलराज मिश्र की उन तीन शर्तों को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने गहलोत सरकार के सामने सत्र बुलाने के लिए रखी है. कांग्रेस नेता ने कहा कि राज्यपाल इस तरह का सवाल नहीं कर सकते हैं. राज्यपाल संवैधानिक अथॉरिटी होते हैं. मंत्रिपरिषद भी संवैधानिक अथॉरिटी है. संविधान में इस बात का साफ साफ उल्लेख है कि राज्यपाल को मंत्रिपरिषद जिसमें मुख्यमंत्री भी शामिल होता, की सलाह पर कदम उठाना है. इस पर कोई सवाल ही नहीं उठता है.

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राज्यपाल ने पूछा कि सत्र बुलाने की क्या जल्दी है? चिदंबरम ने कहा कि राज्यपाल को यह कहने का कोई हक नहीं है, उन्हें मंत्रिपरिषद के एजेंडा पर काम करना होता है. पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि विधानसभा सत्र बुलाने के प्रस्ताव को नहीं मानना कानून और संवैधानिक परंपराओं के खिलाफ है. ऐसे कदमों से संसदीय लोकतंत्र कमजोर होता है.

चिदंबरम ने कहा कि राज्यपाल यह सवाल नहीं कर सकते हैं. उन्हें काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स से बात करनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक कैबिनेट से सलाह के बाद कदम उठाना चाहिए. एजेंडा हाउस कमेटी तय करती है. वह सत्र के लिए एजेंडा तय करती है. राज्यपाल को सलाह पर ही काम करना चाहिए. राज्यपाल भगवान नहीं होते हैं, वह संवैधानिक पद का कार्यभार संभाल रहे हैं. हमने राजभवन का घेराव नहीं किया. हमने राजभवन के सामने प्रदर्शन किया. मैं कानूनी आधार पर अपनी बात कह रहा हूं. राज्यपाल को कानून के मुताबिक काम करना चाहिए.

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