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राजस्थान सीमा पर पाकिस्‍तान ने लगाए मोबाइल टावर, भारत ने की शिकायत

पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करते हुए सीमा पर मजबूत क्षमता वाले मोबाइल टावर लगा दिए हैं. भारत ने पड़ोसी मुल्‍क की इस हरकत के खिलाफ शिकायत की है.

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भारत-पाकिस्तान सीमा
भारत-पाकिस्तान सीमा

पाकिस्तान भले ही दिखावे के लिए हिंदुस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाता रहे लेकिन वो अपनी नापाक हरकतों से कभी बाज नहीं आएगा. जम्मू-कश्मीर सीमा पर तो पाकिस्तानी सेना आए दिन सीजफायर तोड़ती रहती है, लेकिन अब उसने भारत के खिलाफ एक नया मोर्चा खोल दिया है. पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करते हुए सीमा पर मजबूत क्षमता वाले मोबाइल टावर लगा दिए हैं. भारत ने पड़ोसी मुल्‍क की इस हरकत के खिलाफ शिकायत की है.

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दरअसल, पाकिस्तान ने भारत-पाक की 1055 किलोमीटर लंबी सीमा पर उसके मोबाइल नेटवर्क का कब्जा जमा लिया है और पाकिस्तानी मोबाइल नेटवर्कों की रेंज हिंदुस्तान की सीमा के अंदर 20 से 40 किलोमीटर तक पहुंच चुकी है. यानि भारत-पाक की राजस्थान सीमा के कई गांवों और इलाकों में दर्जनों पाकिस्तानी मोबाइल कंपनियों के सिग्नल आसानी से मिल जाते हैं. इनमें जैसलमेर के लोंगोवाल, घोटारु, तनोट, किशनगढ़, सुल्ताना, नाचना, भारेवाला और बीकानेर के पक्लर, भूरावर, आनन्दगढ, खानूवाली, के.के.टिब्बा, कावेरी के इलाके शामिल हैं.

सरहद के पास राजस्थान के बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर और श्रीगंगानगर में आर्मी और एयरफोर्स अड्डे होने की वजह से सुरक्षा ऐजेंसियों के लिए पाकिस्तान का ये नया पैंतरा एक बड़ा सिरदर्द बन गया है. इन इलाकों में पाकिस्तानी मोबाइल कंपनियों मसलन मोबालिक, पीके-यूफोन, टेलीनोर, जेम, मोबाइल टेलीलिंक, पीटीसीएल, जेडीएचए, अलवारीद, पाकटेल, पाक पीएल और यूएफ 1 जैसी कंपनियों के सिग्नल मिल रहे हैं.

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आपको बता दें कि दूरसंचार के अंतरराष्ट्रीय नियमों के मुताबिक किसी भी देश के मोबाइल या लैंडलाइन का सिग्नल दूसरे देश में नहीं जा सकता. इसके लिए मोबाइल टावर अपनी सीमा के डेढ़ किलोमीटर अंदर लगानी पड़ती हैं ताकि मोबाइल सिग्नल सीमा पर 500 मीटर से ज्यादा दूर ना जा पाएं. लेकिन पाकिस्तान इन सारे नियमों को ताक पर रख कर जानबूझ कर सीमा पर सीडीएमए तकनीक के मजबूत टावरों का नेटवर्क खड़ा करता जा रहा है.

दूरसंचार जिला प्रबंधक (बार्डर एरिया) योगेश भास्कर कहते हैं, 'ये बहुत खतरनाक है, इसमें हम तो कॉल की मॉनिटरिंग कर सकते हैं और न ही सिम को ट्रैस कर सकते हैं.ये देश के लिए बड़ा खतरा है. इसके लिए रक्षा मंक्षालय को लिखा गया है, आईबी की टीम ने भी दौरा किया है.

ऐसे हुआ खुलासा
जानकारों की मानें तो पाकिस्तान की इस नई चाल के पीछे उसकी कोई ना कोई नई साजिश है और आने वाले दिनों में उसका ये नया पैंतरा भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए यकीनन एक बड़ा सिरदर्द बनने वाला है.

दरअसल पाकिस्तान के इस हरकत के पीछे का असली मकसद तब सामने आया जब भारतीय खुफिया एजेंसियों की गिरफ्त में आए पाकिस्तानी जासूसों के पास से पाकिस्तानी मोबाइल कंपनियों के सिम कार्ड बरामद हुए. उन्होंने ही इस बात का खुलासा किया कि पाकिस्तान राजस्थान की सीमा पर मोबाइल टावरों का जाल बिछा रहा है. जानकारों के मुताबिक अगर पाकिस्तानी सिमकार्ड से और पाकिस्तानी मोबाइल टावरों के सिग्नल के जरिए कॉल की जाती है तो भारतीय सुरक्षा एजेंसियां उसे न तो पकड़ सकती हैं. ना ही फोन करने वाले शख्स की लोकेशन का पता लगा सकती हैं और ना ही वो उसके कॉल को रिकार्ड कर सकती हैं.

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चीन कर रहा मदद
'आज तक' को इस बात की खबर लगते ही हमने इस बात की तस्दीक की कि क्या वाकई हिंदुस्तान की सीमा में पाकिस्तानी मोबाइल कंपनियों के सिग्नल आ रहे हैं. और जब हमने इस बारे में पड़ताल की तो सारी हकीकत हमारे सामने आ गई.

जानकारों की माने तो पाकिस्तान के पास इतनी क्षमता वाले मोबाइल टावर लगाने की तकनीक नहीं है लेकिन फिर सवाल उठता है कि अगर वो इतने दूर तक सिग्नल पहुंचाने वाले मोबाइल टावर लगा रहा है तो फिर इस काम में उसकी मदद कौन कर रहा है. सूत्रों की मानें तो राजस्थान सीमा पर मोबाइल टावरों का नेटवर्क खड़ा करने में पाकिस्तान की मदद चीन कर रहा है. क्योंकि चीन के पास ऐसी टेक्नॉलोजी है जिसकी बदौलत वो पाकिस्तान की नई चाल में उसकी मदद कर सकता है.

योगेश भास्कर कहते हैं, 'हमने पूरे बॉर्डर इलाके बाड़मेर, बीकानेर का सर्वे किया है. पाकिस्तान से काफी सिगन्ल आ रहे हैं. टेलिनॉर और कई कंपनियां हैं. भारत में अंदर 20 किलोमीटर तक ये सिग्नल आ रहे हैं मेरे हिसाब से ये CDMA टेक्नॉलाजी लगा रहे हैं जिससे स्ट्रांक सिग्नल आ रहा है. 20 किमी हमारी सीमा के भीतर आ रहे हैं तो उस हिसाब से 20 किमी पाकिस्तान की सीमा में भी जा रहे हैं यानी 40 किमी की क्षमता के टावर लगाए जा रहे हैं.

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पाकिस्तान की इस नई चाल का पता चलते ही आईबी और बीएसएनएल की टीम ने सीमा इलाके का दौरा कर अपनी पूरी रिपोर्ट रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को सौंप दी है. जानकारों के मुताबिक भारत चाह कर भी पाकिस्तानी मोबाइल टावरों के सिग्नल को सरहद पार आने से नहीं रोक सकता. क्योंकि इतनी लंबी सीमा पर जैमर लगाना संभव नहीं है. हालांकि भारत पाकिस्तान से इस बाबत अपना विरोध दर्ज करवा चुका है लेकिन पाकिस्तान भारत इस बात को दरकिनार रख अपने प्लान को अंजाम तक पहुंचाने में लगा हुआ है.

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