राजस्थान विधानसभा चुनाव के शोरगुल के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक बयान ने सियासी भूचाल खड़ा कर दिया है. बजरंग बली को दलित बताने वाले इस बयान पर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सफाई देते हुए उनका बचाव किया है.
गुरुवार को जयपुर में आयोजित पंचायत आजतक कार्यक्रम में रविशंकर प्रसाद से जब योगी आदित्यनाथ के अलवर में दिए गए इस भाषण के बारे में पूछा गया तो उन्होंने आस्था का सम्मान करने की बात कहते हुए उनका बचाव किया.
रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'हिंदुस्तान में 33 करोड़ देवी देवता हैं. विविधता से भरे इस देश में हर किसी को अपनी आस्था के साथ जीने का अधिकार है. हमारी जो बहन सबरी थीं, बड़ी संख्या में आदिवासी लोग उन्हें अपनी देवी मानते हैं. भगवान ने उनके जूठे बेर को चखने में कभी कोताही नहीं बरती. बीकानेर में करणी माता के संस्कार मुझे पता चले, जो सियासतों की इष्ट देवी हैं. भारत की आस्था का सम्मान करना चाहिए.'
उन्होंने कहा कि अगर बहुत से दलित लोग मानते हैं कि हनुमान हमारे हैं तो उन्हें अपनी आस्था के साथ जीने देना चाहिए और अगर कोई बजरंग बली को मानता है तो उन्हें उनकी आस्था से जुड़े रहने देना चाहिए. योगी के बयान पर उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ नाथ संप्रदाय से जुड़े हैं और इस परम्परा से जुड़े हैं. संभवत: उन्होंने भारतवर्ष की सर्वस्पर्शी आस्था की बात की थी और उसे उसी संदर्भ में समझा जाना चाहिए.
बता दें कि चुनाव प्रचार के दौरान अलवर जिले के मालाखेड़ा में एक सभा को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने बजरंगबली को दलित, वनवासी, गिरवासी और वंचित करार दिया. योगी ने कहा कि बजरंगबली एक ऐसे लोक देवता हैं जो स्वयं वनवासी हैं, गिर वासी हैं, दलित हैं और वंचित हैं.
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