मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बड़ा झटका दिया है. बोर्ड ने मोदी के खास माने जाने वाले गुजरात के बिजनेसमैन जफर सरेशवाला को रविवार को जयपुर में अपने अधिवेशन से बाहर निकाल दिया. अधिवेशन के दौरान सरेशवाला की मौजूदगी पर कुछ सदस्यों ने एतराज जताया, जिसके बाद यह कदम उठाया गया. बोर्ड की बैठक शुरू होते ही वहां, 'दुश्मनों को बाहर करो, मीर जफर से तौबा तौबा' जैसे नारे गूंजने लग गए.
अधिवेशन के आयोजकों से जब इस बाबत एतराज का कारण पूछा गया तो लोगों ने बताया कि मोदी के भेजे हुए दूत यहां बैठे हुए हैं, जो माहौल को खराब करना चाहते हैं. इस पर बोर्ड के आला पदाधिकारियों ने उन लोगों से बाहर निकलने को कहा, जो बोर्ड के सदस्य नहीं हैं. इस घोषणा के बाद वहां बैठे जफर सरेशवाला भी बाहर निकल कर अधिवेशन परिसर से रवाना हो गए. जफर के जाने के बाद बोर्ड की कार्रवाई शुरू हुई.
बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने बताया कि सरेशवाला बोर्ड के सदस्य नहीं हैं. नियमानुसार बोर्ड बैठक में सदस्य ही हिस्सा ले सकते हैं. हालांकि इस बाबत जफर सरेशवाला ने कहा कि बोर्ड कुछ राजनीतिक दलों का विस्तार है. इससे पहले बोर्ड ने सरेशवाला के सुझावों को भी मानने से इनकार कर दिया था, जिसमें प्रधानमंत्री से मिलने की बात भी शामिल थी. जफर ने कहा, 'अगर बोर्ड इस तरह का नजरिया रखेगा तो बहुत जल्द अपनी प्रासंगिकता खो देगा.'
कौन हैं सरेशवाला
गुजरात के जाने-माने उद्योगपति जफर सरेशवाला (50) की इंग्लैंड समेत कई यूरोपीय देशों में कॉरपोरेट पहुंच है. गुजरात में हुए दंगों के बाद अहमदाबाद में उनकी फैक्ट्रियां जला दी गईं, लेकिन इसके बाद सरेशवाला की नरेंद्र मोदी से नजदीकी बढ़ गई. समझा जाता है कि मोदी मुस्लिम समुदाय के मुद्दों पर सरेशवाला की राय पर भरोसा करते हैं, वहीं सरेशवाला इस्लामिक बैंकिंग के भी अच्छे जानकार हैं और तबलीगी जमात से जुड़े हुए हैं. वह मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के वीसी भी हैं.