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अशोक गहलोत का ऐलानः पंजाब की तरह कृषि कानूनों के खिलाफ जल्द लाएंगे विधेयक

सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में हम किसानों के पक्ष में मजबूती से खड़े हैं. हमारी पार्टी किसान विरोधी कानून जो एनडीए सरकार ने बनाए हैं, उसका विरोध करती रहेगी.

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (पीटीआई)
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मोदी सरकार के नए कृषि कानून के खिलाफ कांग्रेस
  • पंजाब में तीन कानूनों को निरस्त करने का प्रस्ताव पास
  • राजस्थान की गहलोत सरकार भी जल्द ऐसा करेगी

मोदी सरकार के नए कृषि कानून के खिलाफ कांग्रेस की घेराबंदी जारी है. केंद्र के कृषि कानून के खिलाफ पंजाब के बाद गहलोत सरकार जल्द नया विधेयक लाने की तैयारी में है. बता दें कि पंजाब विधानसभा ने सर्वसम्मति से केंद्र सरकार के कृषि से जुड़े तीन कानूनों को निरस्त करने का प्रस्ताव पास किया है.

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सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में हम किसानों के पक्ष में मजबूती से खड़े हैं. हमारी पार्टी किसान विरोधी कानून जो एनडीए सरकार ने बनाए हैं, उसका विरोध करती रहेगी. आज पंजाब की कांग्रेस सरकार ने इन कानूनों के विरुद्ध बिल पारित किए हैं और राजस्थान भी शीघ्र ऐसा ही करेगा. 

बताया जा रहा है कि नवंबर के पहले सप्ताह में राजस्थान विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा. इस दौरान केंद्र के किसान कानून के खिलाफ फैसला लिया जाएगा. गहलोत मंत्रिपरिषद की बैठक में फैसला किया गया कि पंजाब की तर्ज पर ही राजस्थान सरकार तीन नए कानून बनाएगी.

इससे पहले मंगलवार को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया था, जिसके तहत सरकार ने तीन नए कानून पास किए हैं जिसमें केंद्र से अलग बातें शामिल की गई हैं.

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प्रस्ताव में इस बात को शामिल किया गया है कि अगर किसान को MSP से नीचे फसल देने पर मजबूर किया जाता है तो ऐसा करने वाले को तीन साल तक की जेल हो सकती है. साथ ही अगर किसी कंपनी या व्यक्ति द्वारा किसानों पर जमीन, फसल को लेकर दबाव बनाया जाता है तो भी जुर्माना और जेल का प्रस्ताव लाया गया है. 

बता दें कि कांग्रेस ने अपनी प्रदेश सरकारों से कहा था कि कृषि विधेयकों को खारिज करने के लिए वो कानून पर विचार करें. कांग्रेस अध्यक्ष ने कांग्रेस शासित राज्यों को संविधान के अनुच्छेद 254 (2) के तहत अपने राज्यों में कानून पारित करने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए कहा था, जो राज्य विधानसभाओं को एक केंद्रीय कानून को रद्द करने के लिए एक कानून पारित करने की अनुमति देता है, फिर जिसे राष्ट्रपति की मंजूरी की जरूरत होती है.

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