राजस्थान के अलवर में 7 महीने की बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में दोषी को फांसी की सजा सुनाई गई है. पॉक्सो एक्ट के तहत राजस्थान में ये पहला मामला है, जिसमें फांसी की सजा सुनाई गई है. दूधमुंही बच्ची के साथ दुष्कर्म के आरोपी पिंटू ठाकुर (19 वर्ष) को अदालत में शनिवार को फांसी की सजा सुनाई.
19-year-old boy awarded death sentence by a Court in Alwar earlier today, for raping a 7-month-old girl. #Rajasthan pic.twitter.com/SPXUaomRTQ
— ANI (@ANI) July 21, 2018
महज 73 दिन में फैसला सुनाते हुए जज जगेंद्र अग्रवाल ने कहा कि जो सिर्फ हंसना और रोना ही जानती है, उसके साथ ऐसा कृत्य मानवता को शर्मसार करने वाला है. जब वह सोचने समझने में सक्षम होगी तो उसे महसूस होगा कि धरती पर जन्म लेना उसके लिए अभिशाप था. यदि कारावास की सजा भी दी गई तो गलत संदेश जाएगा, इसलिए मात्र मृत्युदंड ही न्यायोचित है.
9 मई को वारदात को दिया था अंजाम
गौरतलब है कि अलवर में 9 मई 2018 को लक्ष्मणगढ़ के हरसाना गांव में एक घिनौनी वारदात हुई थी. वारदात में नशे में धुत युवक 7 माह की बच्ची को पड़ोस की ही एक महिला से छीन कर ले गया था. वह महिला पीड़ित 7 माह की मासूम की ताई थीं, जो देख नहीं सकती थीं. पिछले 73 दिन में अलवर के SC/ST विशेष न्यायालय ने मामले को प्राथमिकता पर रखते हुए घटना के दोषी को फांसी की सजा सुना दी है.
13 पेशी में सुनाया फैसला
बता दें कि 9 मई की रात आसपास के लोगों ने बच्ची को पास ही एक झाड़ी के पास से बरामद किया. मासूम के जननांग पर खून लगा था और नशे में धुत आरोपी भाग गया था. स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दी थी और पुलिस ने आरोपी को रात में ही गिरफ्तार कर लिया था. अगले दिन 10 मई को लक्ष्मणगढ़ थाने में पॉक्सो एक्ट में मामला दर्ज हुआ और लक्ष्मणगढ़ थाना अधिकारी प्रहलाद सहाय ने जांच करते हुए आरोपी के खिलाफ 363, 366a, 376 ए बी और 5m पोक्सो एक्ट में दोषी मानते हुए कोर्ट में चालान पेश कर दिया. कुल 13 पेशी तारीख में ही न्यायाधीश जगेंद्र अग्रवाल ने पीड़िता को न्याय दे दिया.
इन धाराओं के तहत हुई सज़ा
21 जुलाई को आरोपी पिंटू को धारा 363 में 5 साल की सजा और ₹10000 का जुर्माना, धारा 366 ए में 7 साल की सजा और धारा 376 एबी में फांसी की सजा सुनाई है. सजा सुनाने से पहले आरोपी के परिजन भी न्यायालय परिसर में पहुंचे. परिजनों के बैग को पुलिस ने इस शक में जांचा कि जो बोतल रखी हैं उनमें कहीं ज्वलनशील पदार्थ तो नहीं है. बाद में सभी परिजनों को वहां से चले जाने के लिए कह दिया गया. सुरक्षा व्यवस्था में आरोपी पिंटू को कोर्ट में पहुंचाया गया. कोर्ट में न्यायाधीश ने सभी धाराओं में दोषी मानते हुए सजा सुना दी लेकिन आरोपी के माथे पर शिकन तक नहीं आई. आरोपी को कड़ी सुरक्षा में सेंट्रल जेल ले जाया गया.
इस बीच पत्रकारों आरोपी ने कहा कि उसका दोष नहीं है और सजा सुना दी गई है. लेकिन जब उसे मेडिकल जांच और अन्य जांच में दोषी होना बताया गया तो आरोपी ने कोई जवाब नहीं दिया और पुलिसकर्मियों के साथ चला गया. पूरे मामले में पीड़िता की ओर से सहायक लोक अभियोजक कुलदीप जैन ने पैरवी की. उम्मीद है कि ऐसे फैसलों से देश में छोटी बच्चियों के साथ हो रहे ऐसे मामलों पर लगाम लग सकेगी.