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राजस्थान: नगर निगम मेयर चुनाव प्रक्रिया बदलने की तैयारी में गहलोत सरकार

गहलोत सरकार प्रदेश में होने वाले मेयर चुनाव की प्रक्रिया में बदलाव करने की तैयारी में है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि हमने स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल के नेतृत्व में कमेटी का गठन किया है. उस गठन की कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार चुनाव कराए जाएंगे.

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अशोक गहलोत (IANS)
अशोक गहलोत (IANS)

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  • CM ने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार चुनाव कराए जाएंगे
  • राज्य में 370 को लेकर माहौल बीजेपी के पक्ष में बना हुआ है

गहलोत सरकार प्रदेश में होने वाले मेयर चुनाव की प्रक्रिया में बदलाव करने की तैयारी में है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि हमने स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल के नेतृत्व में कमेटी का गठन किया है. उस गठन की कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार चुनाव कराए जाएंगे.

दरअसल, कांग्रेस की अंदरूनी बैठक में कई विधायकों और मंत्रियों ने कहा है कि राज्य में अभी 370 को लेकर माहौल बीजेपी के पक्ष में बना हुआ है और ऐसे में बड़ा चुनाव होता है तो इसके परिणाम लोकसभा चुनाव जैसे हो सकते हैं. इसी के मद्देनजर पार्षदों के जरिए ही मेयर का चुनाव कराए जाने बात कही गई.

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इस पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि हमें भी इस तरह के इनपुट मिले हैं. इस पर विचार किया जाएगा. अशोक गहलोत ने कहा कि कार्यकर्ता सर्वोपरि होता है. दरअसल, पिछली बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा में विधेयक पारित कर कानून बनाया था कि अब नगर निगमों में पार्षद नहीं बल्कि जनता सीधे मेयर चुनेगी.

बीजेपी ने सत्ता में आने के बाद उस कानून को खत्म कर दिया था मगर राज्य में एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनने के बाद गहलोत सरकार दोबारा विधानसभा में यह कानून ले आई थी. इसी साल मार्च में यह कानून बनाया गया था जिसके तहत मेयर के चुनाव सीधे जनता करेगी. राजस्थान के सभी 6 नगर निगमों में जनता के सीधे मेयर चुने जाने का प्रावधान कर दिया गया है.

राज्य में अक्टूबर के अंत या नवंबर की शुरुआत में चुनाव होने हैं. ऐसे में इस तरह के इनपुट आने के बाद राज्य सरकार के लिए फैसले से एकाएक पीछे हटना आसान नहीं होगा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कमेटी का गठन कर दिया है और कमेटी रिपोर्ट का हवाला देकर सीधे चुनाव कराए जाने की प्रक्रिया को अध्यादेश के जरिए खत्म कर दिया जाएगा. वहीं बीजेपी का इस पूरे मामले पर कहना है कि कांग्रेस चुनाव लड़ने से पहले ही हार गई है. डरकर अपने ही बनाए कानून को बदलने के लिए बहाने तलाश रही है.

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