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रकबर या पहलू ही नहीं और भी कई 'खान' राजस्थान में हुए लिंचिंग का शिकार

रकबर खान या पहलू खान ही गो-तस्करी के शक में मौत के घाट नहीं उतारे गए हैं,  बल्कि कई और ऐसे नाम भी हैं, जो राजाओं की इस भूमि पर मॉब लिंचिंग का शिकार हो गए.

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अलवर बना लिंचिग का अड्डा
अलवर बना लिंचिग का अड्डा

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राजस्थान में एक तरफ जहां चुनावी सरगर्मियां तेज हो रही हैं, वहीं दूसरी तरफ राज्य में होने वाली मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर भी पूरा देश चर्चा कर रहा है. हैरान करने वाली बात ये है कि रकबर खान या पहलू खान ही गो-तस्करी के शक में मौत के घाट नहीं उतारे गए हैं,  बल्कि कई और ऐसे नाम भी हैं, जो राजाओं की इस भूमि पर मॉब लिंचिंग का शिकार हो गए.

अब्दुल गफ्फार कुरैशी

30 मई 2015 को नागौर जिले के बिरलोका गांव में 60 साल के अब्दुल गफ्फार कुरैशी को भीड़ ने पीट-पीटकर मार दिया. गफ्फार यहां मीट की दुकान चलाते थे. जिसके सामने रहने वाला एक दूसरे धर्म का परिवार उसका विरोध करता था. नागौर में करीब 200 गायों के शव मिलने से इलाके में तनाव बढ़ गया और गफ्फार कुरैशी को भीड़ रॉड और लाठी-डंडों से पीटकर मारा डाल.

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उमर मोहम्मद

अलवर जिले की रामगढ़ तहसील में ही 12 नवंबर 2017 को उमर मोहम्मद को मार दिया गया. कथित गोरक्षकों को सूचना मिली थी कि उमर अपने एक साथी के साथ वैन में गाय ले जा रहा है, जिसके बाद उमर की लाश रेलवे ट्रैक पर मिली. उमर के परिवार की तरफ से दावा किया गया कि वह डेयरी चलाता था और उसी के लिए भरतपुर से गाय ला रहा था.

तालिम हुसैन

6 दिसंबर 2017 को अलवर में गाय के नाम पर एक और मौत हुई. हरियाणा के मेवात का रहने वाला 23 साल का तालिम हुसैन पिक-अप वैन में था. शहर के बाहरी इलाके में कथित गोतस्करी के नाम पर तालिम को गाली मार दी गई. पुलिस ने इसे मुठभेड़ करार दिया जबकि सामाजिक संगठन इसे पुलिस की एकतरफा कार्रवाई बताते रहे. तालिम ने परिवार ने बताया कि वह सिर्फ गाड़ी का ड्राइवर था, इससे ज्यादा उसका गायों की खरीफ-फरोख्त से कोई देना नहीं था.

पहलू खान

1 अप्रैल 2017 को अलवर में गोरक्षकों की भीड़ ने 55 साल के पहलू खान पर हमला किया. राजस्थान से गाय खरीदकर हरियाणा जाते वक्त पहलू खान पर यह हमला किया गया. डेयरी का कारोबार करने वाल पहलू की इतनी बुरी तरह पिटाई की गई कि हमले के दो दिन अस्पताल में उनकी मौत हो गई.

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ये हत्याएं कथित गो-तस्करी के नाम पर हुई हैं. अब रकबर खान भी ऐसे ही गोरक्षकों के गुस्से का शिकार हो गया है. लेकिन राजस्थान में भीड़ ने सिर्फ गाय के नाम पर लोगों की जान नहीं ली है, बल्कि कुछ सामाजिक कार्यों में लगे और यहां तक कि भजन गाने वालों को भी मार दिया गया.  जफर खान

प्रतापगढ़ जिले में 16 जून 2017 को सामाजिक कार्यकर्ता जफर खान ने जब खुले में शौच कर रही महिलाओं के फोटों लेने से सफाई कर्मचारियों को रोका तो उनकी जमकर पिटाई कर दी गई. जिसके बाद जफर खान की मौत हो गई.

अफराजुल

राजस्थान के राजसमंद जिले में मोहम्मद अफराजुल को जिस क्रूरता के साथ एक सिरफिरे ने मौत के घाट उतारा, वह पूरे देश ने देखा. बंगाल के रहने वाले अफराजुल पर शंभू ने कुल्हाड़ी से न सिर्फ बुरी तरह हमला किया, बल्कि उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी की, जिसे हर किसी ने देखा. हालांकि, जब इस जघन्य हत्याकांड की सच्चाई सामने आई तो पता चला कि शंभू की राजसमंद के राजनगर की रहने वाली एक लड़की से संबंध थे और इसकी जानकारी अफराजुल को थी. जिसके चलते उसने अफराजुल को मार दिया और इस घटना को सांप्रदायिक रंग दे दिया.

अहमद खान

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27 सितंबर 2017 को जैसलमेर में 48 साल के अहमद खान की हत्या का इल्जाम गांव के पुजारी पर ही लगा. लोकगायक अहमद खान बीते एक दशक से एक मंदिर में भजन गाते थे. नवरात्रि के मौके पर पुजारी ने अहमद से एक विशेष राग गाने के लिए कहा था ताकि देवी पुजारी के शरीर में आ जाएं. इसके बाद पुजारी ने दावा किया कि अहमद खान ने सही ढंग से नहीं गाया, जिसके चलते देवी उसके शरीर में नहीं आईं और उसने अहमद खान की पिटाई कर दी.

दरअसल, राजस्थान के अलवर जिले में मुस्लिम आबादी बड़ी संख्या में रहती है. यहां गाय पालन भी बड़ी संख्या में किया जाता है. यही वजह है कि हरियाणा राज्य में आने वाले अलवर के नजदीकी जिले मेवात में यहां से गायों की खरीद-फरोख्त का सिलसिला आम नजर आता है. लेकिन पिछले कुछ समय से गाय की खरीद फरोख्त करने वालों के लिए खासकर अलवर जहन्नुम बन गया है. इन घटनाओं के पीछे राजनीतिक संरक्षण के भी संकेत मिलते रहे हैं. पिछले साल पहलू खान की हत्या के बाद स्थानीय बीजेपी विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि जो गाय की तस्करी करेगा, वो मरेगा और यही भयावह तस्वीर अब अलवर की पहचान बनती जा रही है.

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