राजस्थान के बहुचर्चित एंबुलेंस घोटाले में फंसी जिकित्जा हेल्थकेयर लिमिटेड की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. सोमवार को ईडी ने इस मामले में आरोपियों की संपत्तियों की जब्ती की कार्रवाई को अंजाम दिया. ईडी ने जिकित्जा हेल्थकेयर लिमिटेड की मालिक स्वेता मंगल और कई दूसरे आरोपियों की करीब 12 करोड़ रुपयों की सम्पत्ति जब्त की है.
आपको बता दें कि इससे पहले ईडी ने इस मामले में आरोपी कम्पनी जिकित्जा हेल्थकेयर लिमिटेड पर छापे की कार्यवाही की थी. इस मामले में ईडी ने सीबीआई की एफआईआर के बारे में भी जांच की थी जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पी. चिदम्बरम के बेटे कार्थी चिदम्बरम और सचिन पायलट के खिलाफ भी मनी लॉडरिंग के आरोप लगाए थे.
ये था मामला
पूर्व की कांग्रेस सरकार और कांग्रेसी नेताओं पर मेडिकल सेवा के लिए 108 एंम्बुलेंस की खरीद में धांधली का आरोप था. इस मामले में नियमों को तोड़-मरोड़कर जिकित्जा हेल्थकेयर लिमिटेड को टेंडर दिया गया था. जिकित्जा हेल्थकेयर लिमिटेड ने राजस्थान सरकार को 450 एंबुलेंस मेडिकल सेवा 108 के लिए दी थी जिनका इस्तेमाल 35 जिलों में किया जाना था. बाद में जांच में गड़बड़ी पाए जाने के बाद सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने मामले की जांच शुरू की थी.
2.56 करोड़ का था घोटाला
पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए 2.56 करोड़ के 108 एम्बुलेंस सर्विस घोटाले में जांच के बाद सीबीआई ने जिगित्जा हेल्थ केयर के सह संस्थापक और पूर्व केन्द्रीय मंत्री व्यालार रवि के पुत्र रवि कृष्णा, निदेशक सचिन पायलट (वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष), पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिदम्बरम के पुत्र कार्तिक चिदम्बरम, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ए.ए खान, श्वेता मंगल, शफी माथेर और निदेशक एन आर एच एम के विरूद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के लिए जालसाजी), 471, और 120 (बी) के तहत मामला दर्ज किया गया था.
2010 में हुई थी शिकायत
आपको बता दें कि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने केन्द्रीय गृहमंत्रालय से एंबुलेंस घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की थी. इस मामले में 31 जुलाई 2014 को जयपुर के अशोक नगर थाना पुलिस ने जयपुर नगर निगम के पूर्व मेयर पंकज जोशी की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था. राजे सरकार के अनुरोध पर मामला सीआईडी को सौंप दिया गया था.
टेंडर में हुई थी गड़बड़ी
ये मामला 2010 से लेकर 2013 तक एनआरएचएम के तहत एंबुलेंस खरीदने में हुई धांधली का है. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक एंबुलेंस खरीदने के लिए जो टेंडर जारी किया गया, उसमें गड़बड़ी की गई थी. बिना निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए ये टेंडर जिगित्सा हेल्थ केयर लिमिटेड को दे दिया गया. सही टेंडर ईएमआर को जाना था, लेकिन गड़बड़ी कर ये जिगित्सा को दे दिया गया.