राजस्थान की जेलों में मंगलवार को नजारा अलग ही दिखाई दिया. जेल से रिहा होने वाले कैदियों की खुशी का ठिकाना नहीं था. राजस्थान दिवस के अवसर पर 1200 कैदियों को आजादी मिली, तो जेल से निकलने वाले ये कैदी खुली हवा में सांस लेते हुए बेहद उत्साहित नजर आ रहे थे.
कोई बुढ़ापा अपने परिवार के साथ शांति से बिताने की इच्छा जाहिर कर रहा था, तो कोई फिर से एक अच्छा नागरिक बन समाज की मुख्य धारा में शामिल होने का संकल्प लेता दिखाई दिया.
जयपुर की सेंट्रल जेल से रिहा होने वाले कैदियों से आजतक ने बातचीत की. इस दौरान एक कैदी ने बताया कि वह हत्या के मामले में सजा काट रहा था. उसने बताया कि सरकार ने नया जीवन देने का काम किया है. यहां से जाने के बाद अच्छा नागरिक बनने की कोशिश करूंगा. वहीं एक अन्य कैदी ने कहा कि अब अपने जीवन के अंतिम साल वह परिवार के साथ बिताना चाहता है.
इन्हें मिली रिहाई
ऐसे बंदी, जो कैंसर, एड्स, कुष्ठ एवं अन्य गंभीर रोगों से ग्रसित हैं, को रिहा किया किया गया ताकि वे कोविड संक्रमण के खतरे से बच सकें. ऐसे बंदी जो कैंसर, एड्स, कुष्ठ एवं अन्य गंभीर रोगों से ग्रसित अथवा दृष्टिहीन हैं और अपने दैनिक क्रियाकलापों के लिए दूसरों पर निर्भर हैं, उन्हें रिहा किया गया. अपराध में दण्डित वृद्ध पुरुष, जिनकी आयु 70 वर्ष तथा महिलाएं, जिनकी आयु 65 वर्ष या इससे अधिक है और सजा का एक तिहाई भाग भुगत चुके हैं, उन्हें भी समय पूर्व रिहाई दी गई.
इनको नहीं मिली राहत
बता दें कैदियों की रिहाई को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने निवास पर जेल अधिकारियों के साथ बैठक की थी, जिसमें निर्णय लिया गया था कि बलात्कार, ऑनर किलिंग, मॉब लिंचिंग, पॉक्सो एक्ट, तेजाब हमले से संबंधित अपराध, आर्म्स एक्ट, राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, एनडीपीएस एक्ट, आबकारी अधिनियम, पीसीपीएनडीटी एक्ट, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, गौवंश अधिनियम, आवश्यक वस्तु अधिनियम, सीमा शुल्क अधिनियम इत्यादि के तहत सजा भुगत रहे बंदियों सहित 28 विभिन्न श्रेणियों के जघन्य अपराधों में लिप्त अपराधियों को कोई राहत नहीं दी जाएगी.