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केरल, पंजाब के बाद राजस्थान विधानसभा में CAA के खिलाफ प्रस्ताव पारित

केरल और पंजाब के बाद नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाला राजस्थान तीसरा राज्य बन गया है. सबसे पहले केरल सरकार ने सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था.

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राजस्थान के CM अशोक गहलोत और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल फोटो-PTI)
राजस्थान के CM अशोक गहलोत और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल फोटो-PTI)

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  • केरल ने सबसे पहले CAA के खिलाफ पारित किया था प्रस्ताव
  • बंगाल सरकार भी सीएए के खिलाफ अपनी मंशा जता चुकी है

देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ लगातार प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं. देश के कई हिस्सों में इसके खिलाफ लोग धरना दे रहे हैं. वहीं अब राजस्थान सरकार ने नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया है.

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाला राजस्थान तीसरा राज्य बन गया है. राजस्थान सरकार से पहले केरल और पंजाब की राज्य सरकारें नागरिकता कानून के खिलाफ पहले प्रस्ताव पारित कर चुकी हैं. सबसे पहले केरल सरकार ने सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था. उसके बाद पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया.

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तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार भी पहले ही कह चुकी है कि वह नए कानून के खिलाफ है. कुछ दिन दिल्ली में हुई विपक्ष की बैठक ने सभी समान विचारधारा वाले मुख्यमंत्रियों को एनपीआर प्रक्रिया को रोकने के लिए कहा था.

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विपक्षी दलों द्वारा एक प्रस्ताव में कहा गया, "सीएए, एनपीआर या एनआरसी एक पैकेज है, जो असंवैधानिक है. क्योंकि यह विशेष रूप से गरीबों, एससी/एसटी, भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यकों को लक्षित करता है. एनपीआर एनआरसी का आधार है. हम सीएए को तत्काल वापस लेने और राष्ट्रव्यापी एनआरसी/एनपीआर को रोकने की मांग करते हैं."

प्रस्ताव में कहा गया, "जिन सभी मुख्यमंत्रियों ने घोषणा की है कि वे एनआरसी को अपने राज्य में लागू नहीं करेंगे, उन्हें एनपीआर को निलंबित करने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि यह एनआरसी की ही शुरुआत है." कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने भी सीएए पर एक प्रस्ताव जारी किया था.

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