राजस्थान में साल के आखिर में होने वाला विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए करो या मरो की स्थिति है. इसी के मद्देनजर वसुंधरा राजे अपनी छवि को बेहतर बनाने की कवायद में जुटी हैं. वहीं कांग्रेस भी वापिस के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है. आइए जानते हैं जयपुर और इसकी जमवारामगढ़ सीट का हाल...
दरअसल जयपुर जिला भी बीजेपी का गढ़ माना जाता है. जयपुर जिले में 19 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें एक सीट पर कांग्रेस, 16 सीटों पर बीजेपी, एक सीट पर निर्दलीय और एक सीट पर एनपीपी [नेशनल पीपुल्स पार्टी] का कब्जा है. वहीं इसमें जयपुर शहर की सभी सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी.
जमवारामगढ़ ढूंढाड़ अंचल का प्राचीन कस्बा है जो जयपुर से लगभग 30 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है. कछवाहों के आगमन से पूर्व यह स्थान मांच (मंच) कहलाता था. जमवारामगढ़ विधानसभा क्षेत्र एससी के लिए आरक्षित है. साल 2017 की वोटिंग लिस्ट के अनुसार क्षेत्र में 197316 मतदाता और 230 मतदाता केंद्र हैं. साथ ही क्षेत्र की जनसंख्या में 15.49 फीसदी एससी और 30.86 फीसदी एसटी का योगदान है.
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2013 विधानसभा चुनाव
2013 में जमवारामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी से किस्मत आजमा रहे जगदीश नारायण मिश्रा ने कांग्रेस के शंकर लाल को 31901 वोटों से हराया था. इस चुनाव में जेएन नारायण मीणा को 64162 और शंकर लाल को 32261 वोट मिले थे. इस बार 175982 मतदाताओं में से 130876 मतदाताओं ने अपना मताधिकार का इस्तेमाल किया था.
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2008 विधानसभा चुनाव
वहीं 2008 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के गोपाल मीणा ने बीजेपी की मंजू शर्मा को हराया था. इस चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार मंजू शर्मा को 44346 जबकि गोपाल मीणा को 44926 वोट हासिल हुए थे.
विधानसभा का समीकरण
राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं. इनमें 142 सीट सामान्य, 33 सीट अनुसूचित जाति और 25 सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं. 2013 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और उसने 163 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि कांग्रेस 21 सीटों पर सिमट गई थी. बहुजन समाज पार्टी को 3, नेशनल पीपुल्स पार्टी को 4, नेशनल यूनियनिस्ट जमींदारा पार्टी को 2 सीटें मिली थीं. जबकि 7 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे.