राजस्थान का अजमेर जिला सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है. ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह दुनियाभर में प्रसिद्ध है, जो देश-विदेश के सैलानियों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है. अरावली पर्वत के दामन में बसे अजमेर के चारों तरफ कई छोटी छोटी पहाड़िया हैं.
जिले का सियासी-जातिगत समीकरण
अजमेर जिले में 18 लाख से ज्यादा मतदाता हैं. इनमें अनुसूचित जाति और जनजाति के वोटरों की संख्या करीब साढ़े तीन लाख है. जबकि ढाई लाख जाट व करीब 2 लाख गुर्जर मतदाता है. ब्राह्मण, राजपूत और मुसलमान वोटरों की संख्या करीब डेढ़-डेढ़ लाख है. वहीं, वैश्य समाज भी जिले की राजनीति में खासा दखल है और इनके वोटरों की संख्या सवा लाख के करीब है.
मुसलमानों का परंपरागत समर्थन बीजेपी के विरोध में जाता है, ये जगजाहिर है. वहीं, दूसरी तरफ क्षेत्र का गुर्जर समाज आरक्षण की मांग को लेकर बीजेपी से नाराज चल रहा है. इसी साल जनवरी में अजमेर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी बीजेपी के प्रति जनता की नाराजगी देखने को मिली और कांग्रेस के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की.
बीजेपी सांसद और वरिष्ठ जाट नेता संवर लाल जाट की मृत्यु के बाद इस सीट पर उपचुनाव कराया गया था. जिसमें बीजेपी के टिकट पर संवर लाल जाट के बेटे रामस्वरूप लांबा को मैदान में उतारा गया. इस सीट पर करीब ढाई लाख वोट होने के बाजवूद कांग्रेस उम्मीदवार रघु शर्मा ने उन्हें करीब 1 लाख मतों से चुनाव हराया.
जिले का चुनावी समीकरण
अजमेर जिले में कुल आठ विधानसभा सीट हैं. इनमें सात सीटें सामान्य वर्ग के लिए हैं. जबकि एक सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है. 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने क्लीन स्वीप करते हुए जिले की सभी आठ सीटों पर जीत दर्ज की थी.
मसूदा सीट
मसूदा सीट पर पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सुशील कंवर ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने कांग्रेस के ब्रह्मदेव कुमावत को हराया था. इस सीट पर करीब 15 फीसदी अनुसूचित जाति आबादी है.
2013 विधानसभा चुनाव का रिजल्ट
सुशील कंवर (बीजेपी)- 34,011
ब्रह्मदेव कुमावत (कांग्रेस)- 29,536
2008 विधानसभा चुनाव का रिजल्ट
ब्रह्मदेव कुमावत (निर्दलीय)- 42,170
रामचंद्र (कांग्रेस)- 34,492
विधानसभा का समीकरण
राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं. इनमें 142 सीट सामान्य, 33 सीट अनुसूचित जाति और 25 सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं. 2013 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और उसने 163 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि कांग्रेस 21 सीटों पर सिमट गई थी. बहुजन समाज पार्टी को 3, नेशनल पीपुल्स पार्टी को 4, नेशनल यूनियनिस्ट जमींदारा पार्टी को 2 सीटें मिली थीं. जबकि 7 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे.