राजस्थान के विधानसभा चुनाव में जनता ने एक बार फिर सत्ता परिवर्तन का जनादेश दिया है. चित्तौड़गढ़ विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक चंद्रभान सिंह आक्या ने कांग्रेस के सूरेंद्र सिंह जाड़ावत को 23894 मतों से शिकस्त दी. बीजेपी के चंद्रभान सिंह को 106563 और कांग्रेस के सूरेंद्र सिंह जाड़ावत को 82669 वोट मिले.
साल 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के चंद्रभान सिंह आक्या ने कांग्रेस के पूर्व विधायक सूरेंद्र सिंह जाड़ावत को 11850 मतों से पराजित किया. बीजेपी को इस सीट पर 50.4 फीसदी जबकि कांग्रेस को 43.4 फीसदी वोट मिले थें. वहीं वोटों की बात करें तो बीजेपी के चंद्रभान सिंह (आक्या) को कुल 85391 और कांग्रेस के सूरेंद्र सिंह जाड़ावत को 73541 वोट मिले थे.
2008 में जीते थे सुरेंद्र सिंह
2017 के वोटर लिस्ट के अनुसार चितौड़गढ़ विधानसभा में मतदाताओं की संख्या 2,43,395 है और 263 पोलिंग बूथ हैं. 2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर 81.35 फीसदी मतदान हुआ था जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में कुल मतदान 65.36 फीसदी हुआ था.
साल 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सूरेंद्र सिंह जाड़ावत ने बीजेपी के कद्दावर नेता और वर्तमान सरकार में नगरीय विकास मंत्री श्रीचंद कृपलानी को 11551 वोटों से शिकस्त दी. कांग्रेस के सूरेंद्र सिंह जाड़ावत को 67959 वोट जबकि बीजेपी के श्रीचंद कृपलानी को 56408 वोट मिले थे.
चितौड़गढ़ जिले में कुल पांच विधानसभा सीटें-कपासन, बेगूं, चित्तौड़गढ़, निंबाहेड़ा और बड़ी सादड़ी हैं. वहीं चित्तौड़गढ़ विधानसभा क्षेत्र संख्या 169 की बात करें तो यह एक सामान्य सीट है. 2011 की जनगणना के अनुसार इस विधानसभा की कुल जनसंख्या 3,41,361 है, जिसका 62.41 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण और 37.59 प्रतिशत हिस्सा शहरी है. राजपूत बहुल चित्तौड़गढ़ विधानसभा में कुल आबादी का 16.18 फीसदी अनुसूचित जाती और 9.65 फीसदी अनुसूचित जनजाति हैं.
शानदार इतिहास
मेवाड़ का चित्तौड़गढ़ जिला इतिहास में राजपूत योद्धाओं की वीर गाथा और अपने शानदार किलों, मंदिरों, दुर्ग और महलों के लिए जाना जाता है. राजपुताना गौरव का प्रतीक चित्तौड़गढ़ का मशहूर किला UNESCO की विश्व ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल है. यह भारत का सबसे बड़ा किला माना जाता है. जिसकी लंबाई लगभग 3 किलोमीटर, परिधि 13 किलोमीटर है और यह तकरीबन 700 एकड़ जमीन में फैला हुआ है.
ऐतिहासिक दृष्टिकोण से अहम चित्तौड़गढ़ कभी मेवाड़ के राजपुताना साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था. लेकिन मुगल शासक अकबर द्वारा चित्तौड़गढ़ पर हमले के बाद महाराणा उदय सिंह नें मेवाड़ की राजधानी उदयपुर को बनाया गया. भारत में लोकतंत्र की स्थापना के बाद भी चित्तौड़गढ़ के संदेश का राजस्थान की राजनीति में विशेष महत्व रहा. यही वजह है कि अजेय भूमि मेवाड़ से शुरू मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की राजस्थान गौरव यात्रा के जवाब में 24 अगस्त से कांग्रेस की संकल्प यात्रा मेवाड़ की धरती चित्तौड़गढ़ से शुरू होने जा रही है.
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