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राजस्थान: बेनीवाल को मिला तिवाड़ी का साथ, नई पार्टी का किया ऐलान

200 विधायकों वाली राजस्थान विधानसभा में एक ही दिन 7 दिसंबर को मतदान होगा और 11 दिसंबर को मतगणना होनी है. साल 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 163 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. जबकि कांग्रेस 21 सीटों पर सिमट गई.

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खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल (फाइल फोटो: ट्विटर @hanumanbeniwal)
खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल (फाइल फोटो: ट्विटर @hanumanbeniwal)

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राजस्थान में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तीसरे मोर्चे ने औपचारिक रूप ले लिया. खींवसर से निर्दलीय विधायक और जाट नेता हनुमान बेनीवाल ने सोमवार को राजधानी जयपुर में किसान हुंकार महारैली में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी नाम से नई पार्टी के नाम का ऐलान किया.

बेनीवाल को मिला तिवाड़ी का साथ

aajtak.in से बातचीत में हनुमान बेनीवाल का कहना है कि जनता कांग्रेस और बीजेपी दोनो से त्रस्त है, लिहाजा राजस्थान के किसानो और युवाओं को नया विकल्प देने के लिए वे नई पार्टी का ऐलान करने जा रहे हैं. बेनीवाल ने कहा कि वे गैर-बीजेपी, गैर-कांग्रेसी छोटे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहते हैं. इसके लिए कुछ दलों से उनकी बात भी हुई है.

दूसरी तरफ, इस मौके पर बीजेपी छोड़कर अपनी पार्टी भारत वाहिनी बनाने वाले कद्दावर नेता घनश्याम तिवाड़ी और राष्ट्रीय लोक दल के नेता जयंत चौधरी भी बेनीवाल के साथ मंच पर मौजूद रहे. यह पूछने पर कि क्या बेनीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी और बीएसपी के साथ कोई बातचीत कर रही है? इस सवाल के जवाब में हनुमान बेनीवाल ने कहा कि अभी उनसे कोई बात नहीं हुई है. यदि वे संपर्क करते हैं तो विचार किया जाएगा.

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बेनीवाल का जाट युवाओं में खासा असर

जाट नेता हनुमान बेनीवाल के जाट युवाओं में खासा असर माना जाता है. राजस्थान में करीब 12 फीसदी जाट हैं जो कि 70 सीटों पर निर्णायक भूमिका में रहते हैं. माना जा रहा है कि बेनीवाल सीपीएम, बहुजन समाज पार्टी और बीजेपी के विधायक रहे घनश्याम तिवाड़ी के साथ मिलकर तीसरा मोर्चा खड़ा करना चाह रहे हैं. बेनीवाल युवाओं से नौकरी और किसानों से कर्जमाफी जैसे वादे कर रहे हैं.

प्रदेश में अब तक एक भी जाट सीएम नहीं

राजस्थान की राजनीति में नागौर, सीकर, झुंझनू, भरतपुर और जोधपुर को एक तरह से जाट बेल्ट कहा जाता है. राजस्थान में लंबे समय तक कांग्रेस के पारंपरिक वोटबैंक रहे जाट समुदाय अपनी बिरादरी से सूबे में सीएम बनाने का सपना संजोए हुए है. कांग्रेस में रामनिवास मिर्धा, परसराम मदेरणा और शीशराम ओला सरीखे बड़े जाट नेता रहे. लेकिन कोई भी सीएम की कुर्सी तक नहीं पहुंच पाया.

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