राजस्थान में जनमत भले ही कांग्रेस के पक्ष में रहा हो, लेकिन सिरोही विधानसभा सीट के परिणाम कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए चौंकाने वाले रहे. इस सीट से जहां देश के पहले गो पालन मंत्री बन चर्चा में आए ओटाराम देवासी चुनाव हार गए तो वहीं कांग्रेस अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई. यहां जीत का सेहरा निर्दलीय प्रत्याशी के सर बंधा है.
सिरोही जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर परिणाम कांग्रेस को निराश करने वाले हैं. यहां की तीनों सीट पर कांग्रेस का कोई भी प्रत्याशी जीत हासिल नहीं कर पाया है. रेवदर सीट से जहां कांग्रेस के कद्दावर नेता नीरज डांगी चुनाव हार गए तो वही आबू-पिण्डवाडा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी ने 26974 मतों से जीत हासिल की है. जिले की जिन दो सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की है, उन दोनों सीटों पर वसुंधरा राजे ने खुद सभा की थी. लेकिन इधर सिरोही सीट पर बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के आम सभा करने के बावजूद बीजेपी अपनी सीट नहीं बचा पाई.
महत्वपूर्ण बात यह है कि सिरोही विधानसभा की यह सीट सामान्य सीट है और बीजेपी की ओर से ओटाराम देवासी लगातार तीसरी बार मैदान में थे. ओटाराम देवासी पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से आते हैं. इसी समीकरण को ध्यान में रख कांग्रेस ने जीवाराम आर्य (ओबीसी) को उनके मुकाबले मैदान में उतारा था. कांग्रेस की इस रणनीति का असर यह हुआ कि उसकी ओर से खुद को दावेदार मान रहे संयम लोढ़ा बागी हो गए और निर्दलीय ही मैदान में उतर गए.
ओटाराम देवासी राजस्थान में वसुंधरा सरकार कार्यकाल में देश के पहले गो पालन मंत्री रहे. उन्हें कांग्रेस के बागी उम्मीदवार संयम लोढ़ा ने 10,253 मतों के अंतर से हरा दिया. देवासी का सिरोही विधानसभा सीट से यह तीसरा चुनाव था और उन्होंने अपने पूर्व चुनावों में इसी उम्मीदवार को दो बार हराया था. लेकिन तब संयम लोढा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे. इस बार कांग्रेस ने नए चेहरे पर दांव खेला था और जीवाराम आर्य को मैदान में उतारा था. लेकीन जीवाराम आर्य मात्र 14,656 ही हासिल कर सकें और अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए.
(राहुल त्रिपाठी के इनपुट के साथ)