राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी पूरी तरह से अपने हिंदू एजेंडे पर उतरकर चुनाव लड़ने के मूड में दिख रही है. बीजेपी के घोषणा पत्र में भी इसकी छाप दिखाई दी है. संकल्प पत्र के रूप में आए उस घोषणा पत्र में पहली बार मुस्लिमों की भलाई के लिए कोई भी एजेंडा नहीं रखा गया है.
इससे पहले बीजेपी 2013 में मुस्लिम समाज से 12 वादे किए थे, लेकिन इस बार अल्पसंख्यकों के एजेंडे को संकल्प पत्र से हटा दिया है. पिछले चुनाव में अल्पसंख्यकों से वादा किया गया था कि परंपरागत लघु उद्योगों के लिए अल्पसंख्यक महिलाओं को लोन दिया जाएगा.
साथ ही वक्फ संपत्तियों का राजस्व का रिकॉर्ड स्थापित किया जाएगा. वक्फ संपत्तियों में से अतिक्रमण हटाया जाएगा. मदरसों का आधुनिकीकरण किया जाएगा, लेकिन इस बार अल्पसंख्यक समाज के लिए किसी भी तरह का आश्वासन संकल्प पत्र में नहीं दिया गया है. 2013 चुनाव में पेश घोषणा पत्र में जो पन्ना और संख्यक समुदाय को समर्पित था वह पन्ना 2018 के संकल्प पत्र से गायब है.
बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में हिंदुओं के सभी जातियों समाज के लिए अलग से प्रावधान किए हैं, लेकिन अल्पसंख्यक समुदाय पर मौन हैं. जिस तरह से योगी आदित्यनाथ राजस्थान में धुआंधार प्रचार करते हुए अली और औरंगजेब के नाम लेकर लोगों से वोट मांग रहे हैं उससे साफ लगता है कि इस बार बीजेपी को राजस्थान में हिंदुत्व का सहारा है.
इससे पहले मुस्लिम प्रत्याशियों की टिकट काटने के मामले में भी बीजेपी ने अपना रुख साफ कर दिया था कि वह अल्पसंख्यकों को टिकट नहीं देना चाहती है लेकिन ऐन मौके पर सचिन पायलट के सामने यूनुस खान को टिकट देना पड़ा था.