राजस्थान के भरतपुर में आरक्षण को लेकर जाटों ने जिले के सभी रेल और सड़क मार्गों पर चक्का जाम शुरू कर दिया है. भरतपुर-धौलपुर के जाट ओबीसी में आरक्षण की मांग को लेकर पिछले दो वर्षों से आंदोलनरत है, जिसके तहत उन्होंने करीब 15 दिन पहले सरकार को 23 जून से चक्का जाम करने की चेतावनी दे दी थी.
हालांकि एक दिन पहले सरकार पर धोखाधड़ी का आरोप लगाकर कांग्रेस विधायक और भरतपुर के पूर्व राजा विश्वेन्द्र सिंह के नेतृत्व में अलवर-मथुरा रेलवे मार्ग पर बहज गाँव में जाम लगा दिया. रेलवे ने धौलपुर और भरतपुर में आरपीएफ की टीमें तैनात कर रखी हैं.
फिलहाल सुबह से ही अलवर-भरतपुर, मथुरा, बेढम, डीग पर जाट आंदोलनकारियों ने सड़क पर जाम लगाना शुरू कर दिया. साथ ही आरक्षण की मांग को लेकर टायर जलाकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. जिला प्रशासन ने भी सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए हुए हैं. हालांकि आंदोलनकारियों को देखते हुए पुलिस भी मूकदर्शक बनी हुई है. जाटों के आरक्षण आंदोलन की वजह से यात्रियों को भारी परेशानी हो रही है. रेलवे प्रशासन ने अब तक तीन टेनें रद्द की हैं, जबकि 6 ट्रेनों के रूट बदले हैं.
जाटों की मांग
जाट आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह के अनुसार दोनों जिले के जाटों को ओबीसी में आरक्षण की अधिसूचना सरकार को शीघ्र ही जारी करनी चाहिए. जब तक यह फैसला नहीं हो जाता, तब आंदोलन खत्म नहीं होगा.
कांग्रेस विधायक एवं पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वेन्द्र सिंह के अनुसार राज्य सरकार जाटों को आरक्षण के मुद्दे पर हमेशा गुमराह करती रही है, लेकिन इस बार लड़ाई आर पार की होगी. उन्होंने कहा कि सरकार ने ओबीसी आयोग की सर्वे रिपोर्ट को ले लिया है, लेकिन इस रिपोर्ट पर कार्यवाही कर कब तक आरक्षण की अधिसूचना जारी की जाएगी. सरकार यह बताए तभी आंदोलन को खत्म किया जाएगा.
सभी मंत्रियों पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए जाट मुस्लिम मंत्री युनूस खान से जाट आरक्षण की घोषणा करवाने पर अड़े हैं. इनका कहना है कि रमजान का महीना है और पीडब्लूडी मंत्री युनूस खान ने रोजे रख रखे हैं, इसलिए झूठ नहीं बोल सकते हैं. लिहाजा जाट आरक्षण की घोषणा इन्हीं से करवाई जाए.
उधर समाज कल्याण मंत्री अरुण चतुर्वेदी का कहना है कि ओबीसी की जाट आरक्षण पर रिपोर्ट गुरुवार शाम मुख्यमंत्री को सौंप दी गई है, ऐसे में जाट आंदोलन खत्म कर दें.
आंदोलन की वजह
राजस्थान में धौलपुर और भरतपुर के जाटों को छोड़कर सभी जिलों के जाटों को आरक्षण मिला हुआ है. इन्हें इस आधार पर नहीं मिला था कि इन जिलों में जाट राजघराना रहा है. धौलपुर के जाट राजघराने की पूर्व महरानी तो खुद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे हैं. मगर धौलपुर में जाटों की संख्या न के बराबर है, इसलिए सारा आंदोलन भरतपुर में हो रहा है. बाद में 2002 में तत्कालीन गहलोत सरकार ने इन जिलों के जाटों को भी राज्य सरकार में आरक्षण दे दिया था, मगर 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी.