राजस्थान में विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे पार्टी के 11 बागी नेताओं को बाहर निकाल दिया गया है. बीजेपी के एक प्रवक्ता ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी.
बीजेपी से निकाले जाने वाले नेताओं में 4 मंत्री भी शामिल हैं. ये बागी नेता टिकट काटे जाने से नाराज थे और अपनी ही पार्टी के उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला किया था.
पार्टी से टिकट काटे जाने से नाराज वसुंधरा राजे सरकार में मंत्री सुरेंद्र गोयल (जैतरान), हेम सिंह भड़ाना (थानागंजी), राजकुमार रिनवा (रतनगढ़) और धान सिंह रावत ने बीजेपी उम्मीदवारों के खिलाफ स्वतंत्र प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं.
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के कई बागियों ने 7 दिसंबर को होने वाले चुनावों के लिए अपना नामांकन दायर किया और कई विधायकों ने टिकट न मिलने के बाद पार्टी से इस्तीफा दे दिया.
पार्टी में बगावत का सिलसिला
बीजेपी के बागी विधायक मानवेंद्र सिंह, जो हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए हैं को कांग्रेस ने झालरापाटन से टिकट दिया है. मानवेंद्र पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह के बेटे हैं. पार्टी ने 2014 में जसवंत सिंह को टिकट नहीं दिया था. माना जा रहा है मानवेंद्र और उनके परिवार की मुख्यमंत्री राजे से रिश्ते अच्छे नहीं थे. मानवेंद्र ने अक्टूबर में बाड़मेर में एक रैली की और बीजेपी से औपचारिक रूप से अलग हो गए. इसके बाद वह पिछले महीने कांग्रेस में शामिए हुए थे.
बहरहाल बताया जा रहा है कि कांग्रेस में भी बागियों की संख्या कम नहीं है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों की कोशिश है कि मान मन्नोवल कर अपने-अपने दल के बागियों को बैठा दिया जाए.
बीजेपी ने अपने नेता ओम माथुर को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है. कांग्रेस नेता अहमद पटेल भी बागियों से बातचीत कर रहे हैं. बागियों से कहा जा रहा है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में उन्हें टिकट दिया जाएगा. साथ ही कई चेहरों को सरकार बनने पर बोर्ड और आयोग में चेयरमैन बनाने के लिए प्रस्ताव दिए जा रहे हैं.
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