राजस्थान के बीजेपी नेताओं में चल रही गुटबाजी के बीच मंगलवार को जयपुर पहुंचे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने
प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का एक साथ हाथ पकड़ कर ऊपर उठाया. जेपी नड्डा का दोनों नेताओं के हाथ को पकड़कर उठाना और यह कहना कि एकला चलो से काम नहीं चलेगा बल्कि सभी को साथ लेकर चलना होगा. इस तरह से उन्होने सभी नेताओं को एकजुटता से काम करने की हिदायत दे दी है. हालांकि, अब देखना होगा कि राजस्थान बीजेपी में कलह खत्म होती है या फिर शह-मात का खेल जारी रहेगा?
दरअसल, राजस्थान में वसुंधरा राजे और सतीश पूनिया लंबे समय से एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल रहे थे. दोनों ही नेता अपनी-अपनी सियासी जोर आजमाइश में लगे थे, लेकिन मंगलवार को दोनों नेताओं के बीच जेपी नड्डा ने सुलह-समझौता कराने की पहल की है. नड्डा ने वसुंधरा राजे और पूनिया के हाथ ही सिर्फ नहीं उठाए बल्कि गुलाब चंद कटारिया, राजेंद्र राठौड़, गजेंद्र शेखावत और ओम प्रकाश के हाथ भी इसी तरह एक दूसरे से पकड़वा कर ऊपर पार्टी में एकजुटता का संदेश देने की कोशिश करते नजर आए.
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने वसुंधरा राजे के पिछले कार्यकाल की तारीफ की. प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद यह पहला मौका है जब पूनिया ने मंच से राजे की तारीफ की. जेपी नड्डा के दौरे का मकसद भी यही था राजे और पूनिया गुट के बीच जारी सियासी अदावत को खत्म करना और दोनों को एक साथ काम करने के लिए रजामंद करना. जेपी नड्डा ने कार्यसमिति की बैठक में दोनों नेताओं का नाम लिए बगैर कड़ा संदेश दिया कि प्रदेश में एकला चलो से काम नहीं चलेगा बल्कि पार्टी के लिए सभी एकजुट होकर काम करना होगा. नड्डा ने पन्ना प्रमुख मॉडल पर उपचुनाव में उतरकर सभी सीटें जीतने का टास्क दिया है.
नड्डा ने कहा कि देश में मोदी जी की हवा है, लेकिन उसे कैप्चर करने के लिए हर स्तर पर तैयारी जरूरी है. लीडर किसी के कहने से नहीं बनते, वे अपने एक्शन से बनते हैं. हालांकि, एक्शन में हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि सबको साथ लेकर चलें. सबका ध्यान रखें. कई नेता अकेले बैठकों में आते हैं और चले जाते हैं. किसी और को जोड़ना ही नहीं चाहते. एकला चलो से काम नहीं चलेगा बल्कि सबको साथ लेकर चलना होगा. इसके बाद उन्होंने दोनों नेताओं को करीब लाने की कोशिश की और उन्हें गिले-शिकवे भुलाकार पार्टी हित में साथ काम करने का संदेश दिया. नड्डा की कोशिश पार्टी को एकजुट करने की कितनी कामयाब हुई यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
हालांकि, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की ओर से देव दर्शन यात्रा निकालने की तैयारी है. 8 मार्च को राजे समर्थक राजे के जन्म दिवस को भरतपुर के ब्रज चौरासी में धार्मिक यात्रा के बहाने शक्ति प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन वसुंधरा विरोधी धड़े ने यात्रा से दूरी बनाने का ऐलान कर रखा है. बीजेपी नेता राजेन्द्र राठौड़ ने वसुधरा राजे की देवदर्शन यात्रा को उनकी यात्रा को निजी धार्मिक यात्रा बताते हुए कह चुके हैं कि वो इस यात्रा में शामिल नहीं होंगे. ऐसे में नड्डा के इस दौरे के बाद अब राजे और उनका गुट मौन धारण करेगा या फिर 8 मार्च को यात्रा के बहाने अपना शक्ति प्रदर्शन दिखाएगा?