राजस्थान में एक महीने तक सियासी उथल-पुथल चलता रहा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और अन्य कांग्रेसी नेता विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर सरकार को अस्थिर करने की साजिश आरोप लगाते हुए लगातार हमलावर रहे. खुलकर गृह मंत्री अमित शाह, मोदी सरकार और अन्य केंद्रीय मंत्रियों पर कांग्रेस के गहलोत कैंप की ओर से आरोपों के लपेटे में लिया जाता रहा. इन सबके बीच राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे चुप्पी साधे रहीं और कहीं नहीं दिखीं.
राजस्थान विधानसभा सत्र में शामिल होकर सदन से बाहर निकलीं वसुंधरा राजे महीनों बाद मीडिया से मुखातिब हुईं. वसुंधरा राजे ने अपनी चुप्पी को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि 34 दिनों से चल रहे घटनाक्रम के बीच वह इसलिए कहीं नहीं दिखीं, क्योंकि वह सावन के समय धौलपुर में पूजा कर रही थीं. वसुंधरा राजे ने कहा कि सभी लोग पूजा करते हैं और मैं भी पूजा करती हूं.
राजस्थान: अशोक गहलोत ने हासिल किया विश्वास मत, 21 अगस्त तक सदन स्थगित
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री ने तर्क दिया कि पूजा के समय हम बाहर का ध्यान नहीं रखते. भाजपा में चल रहे झगड़े को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस संबंध में यहां के नेताओं से पूछा जाना चाहिए. वसुंधरा ने साथ ही यह भी जोड़ा कि मुझे नहीं लगता कि पार्टी में कोई झगड़ा है. उन्होंने उल्टे सवाल दाग दिया कि आप लोगों को ऐसा लगता है क्या?सदन में बोले गहलोत- शाह को सपने में दिख रहीं सरकारें, नहीं हुआ कोई फोन टेप
गौरतलब है कि पिछले दिनों भाजपा ने अपने विधायकों को जयपुर से बाहर भेजने के निर्देश दिए थे. वसुंधरा राजे के करीबी माने जाने वाले दर्जनभर से अधिक विधायकों ने इससे इनकार कर दिया था. कांग्रेस में मचे घमासान के दौरान भी वसुंधरा चुप्पी साधे रही थीं. इसके बाद वसुंधरा राजे दिल्ली गई थीं, जहां उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी. वह कार्यकारिणी में अपने करीबियों की उपेक्षा से भी नाराज बताई जा रही थीं.