दिल्ली का प्रदूषण उसका खुद का है न कि दूसरे राज्यों का. राजस्थान के पर्यावरण मंत्री राजकुमार रिणवा ने कहा है कि दिल्ली में चार राज्यों के साथ केंद्रीय और दिल्ली के पर्यावरण मंत्रियों की बैठक में डाटा और सैटेलाईट इमेज से यह बात साफ हो गई कि दूसरे राज्यों पर दिल्ली के प्रदूषण का दोष थोपना ठीक नही है. मीटिंग में राजस्थान के पर्यावरण मंत्री ने कहा कि हमारे यहां से कोई फसल के जलने और धुआं आने की घटना नहीं हो रही है वहीं पंजाब और हरियाणा के मंत्रियों ने भी इस तरह के गलत आरोपों पर अपनी नाराजगी दर्ज कराई.
अंत में इसबात पर सहमति बनी की अगले साल से खेतों की फसल को इको इंट बनाने और जलावन के रुप में उपयोग करने के लिए अलग-अलग तकनीक से इनका प्रयोग किया जाएगा. किसानों को फसल काटने के बाद उनके खेत में हीं उस मिट्टी को फसल के टुकड़े समेत बेचने के लिए प्रेरित किया जाएगा जिससे कि ईको-फेंडली ईटें बनेंगी. इससे किसानों को मिट्टी और फसल के तने बेचने के पैसे मिलेंगे और नई मिट्टी से खेत उपजाऊ भी बनेगा. इसके अलावा इनका जलावन के लिए भी प्रयोग किया जाएगा.
लगाने होंगे ऑक्सीजन देने वाले पेड़
हालांकि मीटिंग में जब दिल्ली के प्रदूषण के डाटा और सैटेलाईट इमेज रखीं गई तो उसमें आसपास के इलाकों के बजाए साफ दिख रहा था कि दिल्ली अपने प्रदूषण के लिए खुद हीं जिम्मेदार है. गाड़ियों की संख्या और गंदगी के अलावा पीपल और नीम जैसे आक्सीजन बनाने वाले पेड़ कहीं नहीं दिखते
हैं. इसलिए ये तय किया गया कि दिल्ली में गाड़ियों की संख्या कम करने का उपाय किया जाए और साथ हीं पुराने वाहन हटाए जाएं और साथ हीं पीपल जैसे बड़े पेड़ लगाएं जाएं.
कमजोर नगरपालिकाओं को मजबूत करें दिल्ली
पड़ोसी राज्यों ने ये भी मांग रखी कि दिल्ली को प्रदूषण से बचाने के लिए एनसीआर के गरीब नगरपालिकाओं में भी केंद्र और दिल्ली सरकार को काम करना होगा ताकि वहां के प्रदूषण से दिल्ली को बचाया जा सके. इन नगरपालिकाओं को बजट देने की भी मांग की गई.
राजस्थान सरकार ने दिल्ली के रिजेक्टेड पुराने वाहनों को नष्ट करने का भी सुझाव दिया वरना वो दिल्ली के आसपास के पड़ोसी राज्यों में जाकर बिक रहे हैं और दिल्ली समेत दूसरे राज्यों को भी प्रदूषित कर रहे हैं.