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Rajasthan Cabinet: अशोक गहलोत की टीम तैयार, 23 मंत्रियों ने ली शपथ, पायलट पर भारी पड़े गहलोत

rajasthan cabinet oath ceremony राजस्थान की नई सरकार में कुल 23 मंत्री बनाए गए हैं, इनमें से 13 कैबिनेट और 10 राज्य मंत्री बनाए गए हैं. अशोक गहलोत के मंत्रिमंडल में 17 नए चेहरों को मौका दिया गया है. पूरी कैबिनेट में अशोक गहलोत समर्थक विधायकों का पड़ला भारी है.

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Rajasthan Cabinet Ministers List
Rajasthan Cabinet Ministers List

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राजस्थान में आज कांग्रेस सरकार का मंत्रिमंडल बन गया है. राजभवन में राज्यपाल कल्याण सिंह की मौजूदगी में 23 विधायकों मंत्री पद की शपथ ली. इनमें से 17 यानी दो तिहाई से ज्यादा नए चेहरे हैं. जातिगत समीकरणों को देखते हुए 13 कैबिनेट और 10 राज्य मंत्री बनाए गए हैं. वहीं, गठबंधन की राजनीति को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय लोक दल से जीते भरतपुर के विधायक सुभाष गर्ग को भी मंत्री बनाया गया है. बड़ी बात ये है कि कैबिनेट में 60 फीसदी अशोक गहलोत समर्थक हैं तो 40 फीसदी पायलट समर्थकों को जगह मिली है. यानी एक बार फिर गहलोत सचिन पायलट पर भारी पड़ गए हैं.

13 कैबिनेट मंत्री

बीडी कल्ला, शांति धारीवाल, परसादी लाल मीणा, मास्टर भंवरलाल मेघवाल, लालचंद कटारिया, डॉ रघु शर्मा, प्रमोद जैन भाया, विश्वेंद्र सिंह, हरीश चौधरी, रमेश चंद्र मीणा, उदयलाल आंजना, प्रताप सिंह खाचरियावास, सालेह मोहम्मद.

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10 राज्य मंत्री

गोविंद सिंह डोटासरा, श्रीमति ममता भूपेश, अर्जुन बामनिया, भंवरसिंह भाटी, सुखराम विश्नोई, अशोक चांदणा, टीकाराम जूली, भजनलाल जाटव, राजेंद्र यादव, सुभाष गर्ग.

गहलोत कैबिनेट का विश्लेषण

विश्वेंद्र सिंह-मंत्रिमंडल में शामिल विधायकों में विश्वेंद्र सिंह डीग से विधायक हैं और तीन बार सांसद रह चुके हैं. पूर्वी राजस्थान के बड़े जाट नेता हैं और पहली बार मंत्री बन रहे हैं. उनकी पायलट से नहीं पटती है.

हरीश चौधरी- हरीश चौधरी बायतु से चुनाव जीते हैं और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव हैं. पश्चिमी राजस्थान के बड़े जाट नेता हैं और एक बार बाड़मेर से सांसद भी रह चुके हैं. ये पायलट के करीबी माने जाते हैं.

रमेश चंद्र मीणा- पहली बार विधायक चुने गए हैं और पहली बार ही मंत्री बन रहे हैं. 2008 से में पहली बार बहुजन समाज पार्टी से जीते थे. कांग्रेस सरकार को समर्थन देकर संसदीय सचिव बने और लगातार तीसरी बार विधानसभा पहुंचे हैं. सपोटरा से बड़े मीणा नेता किरोड़ी लाल मीणा की पत्नी गोलमा देवी को हराकर विधान सभा में पहुंचे हैं और पायलट के करीबी हैं.

रघु शर्मा- रघु शर्मा ने अजमेर लोकसभा उपचुनाव जीतकर कांग्रेस का कद बढ़ाया था. उसके बाद कैंपेन समिति के अध्यक्ष भी बने हैं. केकड़ी विधानसभा से दूसरी बार चुनाव जीते हैं. गहलोत के खास हैं. कभी पायलट के करीबी भी थे.

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उदय लाल आंजना- उदय लाल निंबाहेड़ा से दूसरी बार विधायक हैं और ओबीसी के बड़े नेता हैं. एक बार सांसद रह चुके हैं और गहलोत समर्थक हैं.

प्रताप सिंह खाचरियावास- प्रताप सिंह जयपुर के जिला अध्यक्ष हैं और 5 साल तक उन्होंने बीजेपी सरकार के खिलाफ संघर्ष किया है. दूसरी बार विधायक बने हैं. जयपुर की सिविल लाइन सीट से जीते हैं. पायलट के बेहद करीबी हैं.

सालेह मोहम्मद- सालहे पोकरण से दूसरी बार चुनाव जीते हैं और सरकार में एकमात्र मुस्लिम मंत्री हैं. विवादों में रहने वाले सालेह मोहम्मद पश्चिमी राजस्थान के बड़े मुस्लिम नेता गाजी फकीर के बेटे हैं. सालहे गहलोत कैंप के हैं.

गोविंद सिंह-  डोटासरा विधानसभा में कांग्रेस की तरफ से मुख्य सचेतक रहे गोविंद सिंह लक्ष्मणगढ़ से तीसरी बार विधायक बने हैं. पायलट के करीबी हैं और उन्हें गहलोत से भी परहेज नहीं है.

ममता भूपेश- ममता मंत्रिमंडल में एकमात्र महिला चेहरा हैं और दूसरी बार विधायक बनी हैं. इससे पहले कांग्रेस सरकार में संसदीय सचिव रह चुकी हैं. किसी कैंप में नही हैं.

अर्जुन बामणिया- ये बांसवाड़ा से तीसरी बार चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं और कांग्रेस में प्रदेश सचिव रह चुके हैं. अर्जुन बामणिया को गहलोत समर्थक माना जाता है.

भंवरसिंह भाटी- कोलायत से दूसरी बार लगातार जीते भंवरसिंह भाटी ने बीजेपी के बड़े दिग्गज नेता देवी सिंह भाटी को पहली बार हराया था और दूसरी बार उनकी बहू को हराया है. भाटी गहलोत समर्थक हैं.

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सुखराम बिश्नोई- सुखराम सांचौर सीट से लगातार दूसरा चुनाव जीते हैं. मोदी लहर के बावजूद भी वह पिछली बार जीत कर आए थे और बिश्नोई समाज के प्रतिनिधि के रूप में मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं. सुखराम गहलोत समर्थक हैं.

अशोक चांदणा- युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चांदणा भी मंत्री बन रहे हैं जो लगातार दूसरी बार चुनाव जीते हैं. विपक्ष में उनका तेवर काफी रहा है और वे गहलोत समर्थक हैं.

टीकाराम जूली- अलवर ग्रामीण से दूसरी बार विधायक हैं और कांग्रेस में जितेंद्र सिंह के करीबी हैं.

भजन लाल जाटव- भजन लाल पहली बार 2014 में विधानसभा उपचुनाव में वैर सीट से ही जीते थे और इस बार भी जीते हैं. भजन लाल पायलट के करीबी हैं.

राजेंद्र यादव- कोटपूतली विधानसभा से लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए राजेंद्र यादव ने लोकसभा चुनाव में भी यादव वोट दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. यादव गहलोत समर्थक हैं.

सुभाष गर्ग- कांग्रेस के सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर पहली बार चुनाव जीते हैं और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेहद करीबी हैं.

बीडी कल्ला- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और बीकानेर पश्चिम से चुनाव जीते हैं. राजस्थान में करीब 12 मंत्रालय संभाल चुके हैं. गहलोत कैंप में हैं.

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शांति धारीवाल- कोटा दक्षिण से चुनाव जीते हैं और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेहद करीबी हैं. इन्हें भारी-भरकम मंत्रालय मिलता रहा है .

परसादी लाल मीणा- लालसोट से चुनाव जीते हैं और पिछला चुनाव हार गए थे. मीणा समाज से कांग्रेस का चेहरा हैं. गहलोत के करीबी हैं.

मास्टर भंवरलाल मेघवाल- मास्टर भंवरलाल सुजानगढ़ से चुनाव जीते हैं और सचिन पायलट के बेहद करीबी हैं. एससी समाज के नेता हैं. शिक्षा मंत्री थे, लेकिन इस्तीफा देना पड़ा था.

लालचंद कटारिया- जयपुर की झोटवाड़ा सीट से विधायक बने हैं और मनमोहन सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री रह चुके हैं. पहली बार राज्य मंत्री बनने जा रहे हैं और अशोक गहलोत के करीबी हैं.

प्रमोद जैन भाया- प्रमोज जैन अंता सीट से विधायक बने हैं और सचिन पायलट के बहुत करीबी हैं. पिछली सरकार में बीच में हटा दिया गया था.

इन दिग्गजों को नहीं मिली जगह

राजस्थान में इस बार जिन बड़े दिग्गज नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है उनमें सीपी जोशी, हेमाराम चौधरी, भरत सिंह, दीपेंद्र सिंह शेखावत, परसराम मोरदिया, राजेंद्र पारीक, अशोक बैरवा, महेश जोशी, जितेंद्र सिंह , महेंद्रजीत सिंह मालवीय, बृजेंद्र ओला और राजकुमार शर्मा हैं.

जातिगत आधार पर देखें तो सबसे ज्यादा 4 जाट विधायक मंत्री बन रहे हैं. दो ब्राह्मण, दो राजपूत, 3 वैश्य, 4 एससी, 3 एसटी, एक गुर्जर, एक विश्नोई, एक मुस्लिम, दो ओबीसी हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट दोनों ओबीसी से आते हैं.

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