राजस्थान में लंबे समय से सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही सियासी वर्चस्व की जंग पर अब कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने विराम लगाने का फैसला कर लिया है. कांग्रेस हाईकमान राजस्थान में एक व्यक्ति, एक पद' का फॉर्मूला लागू करने जा रहा है. इस फॉर्मूले के लागू होने के साथ ही गहलोत कैबिनेट के तीन मंत्रियों को कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है. ऐसे में कैबिनेट विस्तार में 12 मंत्री पद भरे जाएंगे, देखना होगा कि सचिन पायलट गुट के कितने नेताओं को मंत्री बनाया जाता है और बसपा छोड़कर कांग्रेस आने वाले किन नेताओं को जगह मिलेगी. गहलोत सरकार को समर्थन कर रहे निर्दलीय विधायक भी मंत्री बनने की लालसा पाले हुए हैं.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली में कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व के साथ मंथन के बाद अब अपने मंत्रिमंडल का पुनर्गठन करने के लिए राजी हो गए हैं. 200 विधायकों वाले राजस्थान विधानसभा में अधिकतम 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं. अभी गहलोत कैबिनेट में उनके सहित 21 मंत्री हैं. चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा को गुजरात और राजस्व मंत्री हरीश चौधरी को पंजाब का कांग्रेस प्रभारी का जिम्मा दिया गया है.
वहीं, गहलोत सरकार में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा राजस्थान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद भी संभाल रहे हैं. ऐसे में एक व्यक्ति एक पद के फॉर्मूले के चलते गहलोत सरकार के इन तीनों मंत्रियों को मंत्री और संगठन की जिम्मेदारी में से एक चुनना होगा. माना जा रहा है कि तीनों ही नेता मंत्री पद छोड़ सकते हैं. ऐसे में वो इस्तीफा देते हैं तो करीब 12 मंत्री पद खाली हो जाएंगे.
गहलोत राजस्थान की राजनीति के चाणक्य माने जाते हैं. वह कभी भी अपने मंत्रिमंडल की अधिकतम सीमा 30 को पूरा नहीं करेंगे. 2-3 मंत्रियों की जगह जरूर खाली रखना चाहेंगे, जिससे कभी भी असंतोष की स्थिति पनपने पर मंत्रिमंडल में शामिल करने का रास्ता खुला रह सके. ऐसे में कैबिनेट विस्तार में सचिन पायलट गुट के कितने नेताओं को मंत्रियों की लिस्ट में जगह मिलेगी, इस पर सस्पेंस बना हुआ है.
हालांकि, पायलट की डिमांड सरकार में पांच मंत्री पद की है. इसके अलावा मलाईदार विभाग की मांग है, क्योंकि 2018 में पायलट ने जिन्हें अपने कोटे से मंत्री बनवाकर अच्छे विभाग दिलाए थे वो सभी गहलोत खेमे में जुड़ गए हैं. इसीलिए अब सुलह-समझौते के फॉर्मूले में पायलट पांच मंत्री पद के साथ बेहतर विभाग की मांग रहे हैं, लेकिन गहलोत तीन मंत्री पद से ज्यादा देने के मूड में नहीं हैं. इसके लिए गहलोत ने बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों और निर्दलीय विधायकों को भी एडजस्ट करने की बात हाईकमान के सामने रखी है.
दिलचस्प बात यह है कि पायलट के बाद डोटासरा ने कांग्रेस की कमान संभाली थी और अपना प्रदेश संगठन बनाया था. ऐसे में डोटासरा ने राजस्थान प्रदेश कमेटी में किसी भी गहलोत सरकार के मंत्री को जगह नहीं दी थी. गहलोत पहले ही यह एक व्यक्ति और एक पद के फॉर्मूले की बात समझ गए थे, जिसके चलते उन्होंने डोटासरा की टीम गठन में अपने किसी भी करीबी मंत्री को संगठन में जगह नहीं दिलाई है. वहीं, राजनीतिक नियुक्ति होनी है. ऐसे में फॉर्मूला लागू होने के बाद जो नेता और विधायक प्रदेश संगठन में हैं, उन्हें राजनीतिक नियुक्तियों में जगह नहीं मिल पाएगी.
डोटासरा की टीम में सचिन पायलट कैंप के 11 नेता सदस्य शामिल हैं. प्रदेश संगठन में 11 विधायकों को डोटासरा ने अपनी टीम में रखा है, जिनमें पायलट गुट के 3 विधायक है तो गहलोत खेमे के 7 विधायक हैं. विधायक वेदप्रकाश सोलंकी, राकेश पारीक और जीआर खटाणा राजस्थान कांग्रेस महासचिव बनाए गए हैं, जो पायलट के नजदीकी माने जाते हैं. जुलाई 2020 में बगावत के दौरान सचिन पायलट के साथ तीनों ही विधायक हरियाणा के मानेसर में मौजूद रहे थे. ऐसे में अब मंत्रिमंडल के एक व्यक्ति एक पद के चलते पायलट के इन तीनों करीबी नेताओं को मंत्री पद मिलना मुश्किल है.
गोविंद सिंह डोटासरा
डोटासरा राजस्थान कांग्रेस के मंत्री रहते हुए अध्यक्ष बनाए गए. गोविंद डोटासरा को अध्यक्ष बने एक साल का समय बीत चुका है, लेकिन दो जिम्मेदारियों के चलते गोविंद डोटासरा संगठन पर पूरा फोकस नहीं कर सके. यही कारण है कि अबतक राजस्थान कांग्रेस के संगठन का विस्तार नहीं हो सका है. ऐसे में अब गोविंद डोटासरा ने खुद की इच्छा जता दी है कि वह प्रदेश अध्यक्ष ही रहना चाहते हैं, उन्हें शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए. ऐसे में अब यह लगभग तय है कि गोविंद डोटासरा को मंत्री पद की जिम्मेदारी से मुक्त कर प्रदेश अध्यक्ष पद पर फोकस करने दिया जाएगा. डोटासरा सीएम गहलोत के करीबी माने जाते हैं और इसीलिए उन्हें पायलट की जगह प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी सौंपी गई थी.
रघु शर्मा
राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा एक कुशल वक्ता तो हैं ही, विपक्ष को जिस तरीके से घेरने का काम करते हैं, उनकी इसी काबिलियत को कांग्रेस पार्टी संगठन में शामिल करते हुए गुजरात जैसे चुनावी राज्य की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है. रघु शर्मा को युवा कांग्रेस चलाने का अनुभव भी रहा और यही कारण है कि रघु शर्मा अब गुजरात के प्रभारी बना दिए गए हैं. अब आगामी कैबिनेट फेरबदल में रघु शर्मा को स्वास्थ्य मंत्री के पद से जिम्मेदारी मुक्त किया जा सकता है. रघु शर्मा सीएम गहलोत के करीबी माने जाते हैं.
हरीश चौधरी
हरीश चौधरी को हमेशा से ही संगठन का नेता माना जाता रहा है. मंत्री बनने से पहले वह ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी में सचिव रह चुके हैं और पंजाब कांग्रेस के सह प्रभारी के तौर पर उन्होंने बेहतरीन काम किया और पंजाब में सरकार बनवाई. हाल ही में पंजाब कांग्रेस में चले राजनीतिक घटनाक्रम में हरीश चौधरी ने अहम योगदान निभाते हुए नवजोत सिंह सिद्धू को अध्यक्ष बनवाने और अमरिंदर सिंह की जगह चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाने में अहम योगदान दिया. हरीश चौधरी पंजाब के प्रभारी है और गहलोत सरकार में राजस्व मंत्री हैं. ऐसे में अब इन्हें मंत्री पद या फिर प्रदेश का प्रभार छोड़ना पड़ेगा.