scorecardresearch
 

अजय माकन को डेढ़ साल बाद मिली जिम्मेदारी, राजस्थान में क्या साध पाएंगे संतुलन?

सचिन पायलट की एक बड़ी मांग को मानते हुए पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांडे को हटाकर पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन को जिम्मेदारी सौंपी है. दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के करीब डेढ़ साल के बाद माकन को नया जिम्मा मिला है. ऐसे में अजय माकन के कंधों पर राजस्थान में गहलोत-पायलट खेमे के बीच संतुलन बनाए रखने की अहम चुनौती होगी.

Advertisement
X
अजय माकन, केसी वेणुगोपाल, अशोक गहलोत, पायलट, अविनाश पांडे
अजय माकन, केसी वेणुगोपाल, अशोक गहलोत, पायलट, अविनाश पांडे

Advertisement
  • अजय माकन बने राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी
  • अविनाश पांडे से पायलट आखिर क्यों नाराज थे

राजस्थान में गहलोत सरकार के विश्वास मत जीतने के दो दिन के अंदर कांग्रेस आलाकमान ने सचिन पायलट से किए हुए वादे पर अमल शुरू कर दिया है. पायलट की एक बड़ी मांग को मानते हुए पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने राज्य के प्रभारी अविनाश पांडे को हटाकर पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन को राजस्थान की जिम्मेदारी सौंपी है. दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के करीब डेढ़ साल के बाद माकन को नया जिम्मा मिला है और पांच साल के बाद कांग्रेस के केंद्रीय पदाधिकारी के तौर पर उनकी वापसी हुई है. ऐसे में अजय माकन के कंधों पर राजस्थान में गहलोत-पायलट खेमे के बीच संतुलन बनाए रखने की अहम चुनौती होगी?

बता दें कि अविनाश पांडे की छवि अशोक गहलोत के करीबी नेताओं के तौर पर बन गई थी. पायलट कैंप की बगावत की एक वजह अविनाश पांडे की कार्यप्रणाली भी थी. पूर्व में कई बार सरकार में काम नहीं होने की शिकायतें पायलट और उनके समर्थक विधायकों ने अविनाश पांडे से की थी, लेकिन हर बार वो अनसुना कर देते थे. पायलट कैंप की राह में सबसे बड़ा रोड़ा अविनाश पांडे बने गए थे. पायलट की बगावत के दौरान विधायकों की बाड़ेबंदी के दौरान तमाम रणनीति पांडे के नेतृत्व में ही बनाई जा रही थी. यही नहीं पायलट कैंप के खिलाफ सबसे ज्यादा आक्रामक भी अविनाश पांडे ही रहे थे.

Advertisement

ये भी पढ़ें: अविनाश पांडे के समर्थन में गहलोत के ट्वीट के क्या हैं मायने?

यही वजह रही कि गांधी परिवार के साथ सचिन पायलट ने घर वापसी के समझौते में अविनाश पांडे को हटाने की मांग रखी थी, जिस पर पार्टी ने फैसला ले लिया है. साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राजस्थान का मामला सुलझाने के लिए वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और अजय माकन को जिम्मेदारी सौंपी है. कांग्रेस की इस तीन सदस्यीय कमिटी के सामने पायलट गुट की शिकायतों का समाधान निकालने की चुनौती है.

सचिन पायलट की बगावत के बाद रणदीप सुरजेवाला के साथ अजय माकन को बतौर पर्यवेक्षक राजस्थान भेजा गया था. इस दौरान माकन करीब एक महीना राजस्थान में पार्टी के विधायकों के साथ रह कर उन्हें एकजुट रखने का प्रयास कर रहे थे और साथ ही पायलट को मनाने की कोशिश भी कर रहे थे. मामला फिलहाल भले सुलझ गया है, लेकिन गहलोत और पायलट के बीच दूरियां अभी मिटी नहीं हैं. ऐसे में इन दोनों नेताओं को साथ लेकर चलने की चुनौती माकन के सामने है.

ये भी पढ़ें: राजस्थान में पायलट की सुनवाई शुरू, माकन बने इंचार्ज, तीन सदस्यों की समिति गठित

माकन के पास राज्य और केंद्रीय संगठन और सरकार का अच्छा खासा अनुभव है. इसके अलावा माकन की छवि कांग्रेस के सुलझे हुए नेता के तौर पर रही है. राजस्थान में रहते हुए सुरजेवाला ने भले ही पायलट को लेकर अपने तेवर सख्त रखे हों, लेकिन माकन बैलेंस बनाते ही नजर आए थे. माकन पायलट के बजाय बीजेपी पर निशाना साधते रहे हैं. वो राहुल के करीबी नेताओं के तौर पर माने जाते हैं. हालांकि, माकन के गहलोत के साथ भी रिश्ते बेहतर रहे हैं.

Advertisement

गहलोत 2013 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद केंद्रीय राजनीति में लौटे थे तब उन्हें दिल्ली का प्रभारी नियुक्त किया गया था. दिल्ली के प्रभारी रहते हुए गहलोत और माकन के बीच अच्छी केमिस्ट्री देखने को मिली थी और ये दोनों नेता शीला दीक्षित के खिलाफ एकजुट नजर आए थे. गहलोत ने उस समय शीला दीक्षित को लेकर बयान भी दिया था कि नीचे वालों कार्यकर्ताओं का ख्याल रखें. ऐसे में अब माकन के कंधों पर गहलोत के साथ रिश्ते निभाने के साथ-साथ पायलट के साथ भी संतुलन बनाए रखने की अहम चुनौती होगी, क्योंकि उन्हें इसीलिए पार्टी का प्रभारी नियुक्त किया गया है ताकि दोनों खेमे के बीच बैलेंस साध सकें.

Advertisement
Advertisement