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धौलपुर की जीत से वसुंधरा का कद बढ़ सकता है, हार से होगी किरकिरी

बीजेपी ने धौलपुर से जीते बहुजन समाज पार्टी के विधायक बी.एल कुशवाहा को एक हत्या के मामले में गिरफ्तार किया और जब सजा हुई तो सजा की वजह से विधानसभा की धौलपुर सीट खाली हुई. इसी बीएल कुशवाहा की पत्नी शोभारानी बीजेपी में शामिल होकर चुनाव लड़ रही हैं.

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वसुंधरा राजे
वसुंधरा राजे

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राजस्थान में धौलपुर विधानसभा उपचुनाव ऐसे लड़ा गया मानो मुकाबला वसुंधरा राजे और सचिन पायलट के बीच हो रहा हो. गुरुवार सुबह आठ बजे से वोटों की गिनती शुरु होगी. मुख्यमंत्री और धौलपुर की महारानी वसुंधरा राजे के लिए धौलपुर की जीत प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है. पूरी बीजेपी को छोड़ वसुंधरा ने एक ऐसे उम्मीदवार पर दांव लगया है जिसके पति को जेल में डलवाकर विधानसभा की सीट खाली करवाने का आरोप लगता रहा है, क्योंकि वो बेहद लोक्रपिय और कुशवाहा जाति का है जिसकी संख्या धौलपुर में ज्यादा है.

बीजेपी ने धौलपुर से जीते बहुजन समाज पार्टी के विधायक बी.एल कुशवाहा को एक हत्या के मामले में गिरफ्तार किया और जब सजा हुई तो सजा की वजह से विधानसभा की धौलपुर सीट खाली हुई. इसी बीएल कुशवाहा की पत्नी शोभारानी बीजेपी में शामिल होकर चुनाव लड़ रही हैं. बीजेपी और खासकर अल्पसंख्यकों में नाराजगी न हो इसलिए चुनाव के घोषणा के बाद धौलपुर से पिछली बार हारे पूर्व विघायक अब्दुल सगीर को लालबत्ती देकर राज्यमंत्री का दर्जा भी दिया गया. राजस्थान में धौलपुर की एक मात्र विधानसभा सीट के लिए 9 अप्रैल को वोट डाले गए थे. वसुंधरा ये सीट जीतती हैं तो उनका कद बढ़ेगा और हारती हैं तो विरोध के स्वर उठने शुरु हो सकते हैं.

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लेकिन इसके बावजूद बीजेपी इस सीट को लेकर इस कदर मेहनत कर रही थी कि वसुंधरा राजे खुद एक अप्रैल से ही धौलपुर में डेरा डाले हुए थे. बीजेपी के पांच-पांच मंत्री और वसुंधरा राजे के सासंद बेटे दुष्यंत सिंह खुद धौलपुर में दिन रात एक किए हुए थे. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने भी धौलपुर में डेरा डाल रखा था. भाजपा ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी. आखिरी दिन तो खुद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने धौलपुर में रोड शो किया.

जेल में बंद पूर्व विधायक बी.एल कुशवाहा को जेल से निकालकर अस्पताल में शिफ्ट किया गया तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट दिल्ली चुनाव आयोग के मुख्यालय शिकायत लेकर पहुंच गए. उसके बाद बीएल कुशवाहा को चुनाव आयोग के निर्देश पर श्रीगंगानगर जेल में शिफ्ट किया गया.

उधर कांग्रेस में पूरे चुनाव की कमान खुद सचिन पायलट ने संभल रखी थी. लगातार 15 दिनों से गांव-गांव घूमकर कांग्रेस के लिए वोट मांग रहे थे. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी तीन दिन तक धौलपुर में सभा की. ऐसा लग रहा था कि ये चुनाव वसुंधरा राजे के कामकाज पर जनता का फैसला होने वाला है. हालांकि कांग्रेस में राहुल गांधी के विदेश चले जाने से कई दिन बाद उम्मीद्वार की घोषणा हुई.

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कांग्रेस ने पुराने चेहरे बनवारी लाल शर्मा पर दांव लगाया जो एक बार इसी सीट से वसुंधरा राजे को हरा चुके हैं और इस सीट से पांच बार विधायक रह चुके हैं. इस सीट का परिणाम सचिन पायलट के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कांग्रेस अगर ये सीट हारती है तो जिम्मेदारी सचिन पायलट पर जाएगी और अशोक गहलोत को कांग्रेस की कमान देने की मांग उठने लगेगी. हालांकि कांग्रेस पहले से ही हार का आभास करते हुए ईवीएम मशीन से लेकर सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का मुद्दा उठाना शुरू कर दिया है. कांग्रेस में भीतरघात की कहानियां भी सामने आ रही है.

 

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