साल 2013 के चुनावों में बेरोजगार युवाओं के आक्रोश से उपजी सत्ता विरोधी लहर पर सवार होकर वसुंधरा राजे राजस्थान की मुख्यमंत्री बनीं. चुनावी साल में अपनी उपलब्धियों का तमगा लेकर वसुंधरा जनता के बीच राजस्थान गौरव यात्रा कर रहीं हैं लेकिन आज वही बेरोजगार युवा मुख्यमंत्री राजे के विजय रथ की गति रोक सकते हैं.
एक लाख बेरोजगार देंगे घर-घर दस्तक
युवाओं के साथ वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव का कहना है कि बीजेपी की चार साल की सत्ता के दौरान मात्र 1,57,804 पदों के लिए सरकारी नौकरी की घोषणा की गई जबकि मात्र 41,800 पदों पर नियुक्ति संभव हो पाई अन्य पदों पर नियुक्ति या तो न्यायालय में लंबित है या फिर सरकारी लेटलतीफी की वजह से शुरू नहीं हो पाई.
राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ के उपेन यादव का कहना है युवाओं से जुड़े इस आंदोलन के तहत 16 सितंबर से महासंघ बीजेपी मुक्त राजस्थान अभियान की शुरुआत करेगा. जिसमें 1 लाख से ज्यादा युवा बेरोजगार विस्तारक घर-घर जाकर राजे सरकार की वादाखिलाफी का प्रचार करेंगे.
बता दें कि उपेन यादव, 2013 के विधानसभा चुनावों के दौरान बीजेपी के सदस्य थे और युवाओं को वसुंधरा के साथ जोड़ने अहम भूमिका निभाई थी.
15 लाख नौकरियों का था वादा
दरअसल साल 2013 में तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार को बेरोजगार युवाओं के जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा था. 3 जुलाई 2013 को लगभग 250 युवाओं ने गहलोत की प्रतीकात्मक शवयात्रा निकाल कर जब जयपुर के नेहरू गार्डेन में विरोध प्रदर्शन किया था तब पुलिस ने उनपर बल प्रयोग कर लाठीचार्ज किया. वसुंधरा उन दिनों शेखावटी में चुनाव प्रचार कर रही थीं जहां उन्होंने घोषणा की थी कि मेरी सरकार आई तो ''लाठी नहीं, रोजगार दूंगी''. अपनी सुराज संकल्प यात्रा के दौरान हर सभा में वसुंधरा ने युवाओं को 15 लाख नौकरियां देने का वादा किया. और 200 सदस्यों वाली विधानसभा में बीजेपी 160 सीटें जीतकर अभूतपूर्व बहुमत के साथ सत्ता में वापस आई.
अब विपक्षी दल वसुंधरा के ऊपर युवाओं के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगा रहे हैं. विपक्ष के आरोप पर सरकार का तर्क है कि पिछले चार सालों में राजस्थान सरकार ने 13 लाख लोगों को स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए हैं. वहीं लगभग 9,94,520 युवाओं को कौशल विकास की ट्रेनिंग दी गई है जिसकी वजह से 6,39,000 लोगों को रोजगार मिला है. लेकिन प्रदेश का युवा सरकारी नौकरियों की आस में थे.